लखनऊ, 1 दिसंबर 2025:
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दिसंबर से शहर के लोगों को गृहकर और जलकर के बिलों से जुड़ी बड़ी राहत मिलने जा रही है। अब दोनों करों का भुगतान एक ही बिल के माध्यम से किया जा सकेगा, जिसके लिए अलग-अलग दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। नेशनल इंफॉर्मेटिक्स सेंटर (एनआईसी) ने इसके लिए नया सॉफ्टवेयर तैयार कर लिया है, जिसकी सिक्योरिटी ऑडिट प्रक्रिया चल रही है। इसके पूरा होते ही यह सिस्टम लागू कर दिया जाएगा। इस नई व्यवस्था से करीब साढ़े पांच लाख भवनस्वामियों को सीधा लाभ मिलेगा।
दरअसल लगभग 15 साल पहले जल संस्थान का नगर निगम में विलय कर दिया गया था और इसे ‘जलकल’ नाम दिया गया था। हालांकि विभागीय ढांचा अलग-अलग होने के कारण जलकल और नगर निगम का कामकाज पहले की तरह ही चलता रहा। जलकल विभाग जलकर और सीवर कर की वसूली खुद करता था और बिल भी अलग जारी करता था। इसी अलग व्यवस्था को लेकर लंबे समय से भवनस्वामी परेशान थे।
करीब 6 महीने पहले शासन ने दोनों करों को एकीकृत कर एक बिल जारी करने का आदेश दिया। इसके बाद एनआईसी ने नगर निगम और जलकल विभाग के डेटा को मिलाकर नया सॉफ्टवेयर तैयार किया है। जलकल विभाग करीब साढ़े पांच लाख भवनों से जलकर वसूलता है, जबकि नगर निगम लगभग साढ़े सात लाख भवनों से गृहकर लेता है। जिन भवनों को जलापूर्ति या सीवर लाइन की सुविधा नहीं है, वहां जलकर नहीं लगाया जाता। वहीं नगर निगम अपनी सीमा में आने वाले सभी घरों से गृहकर लेता है।
नए सिस्टम के लागू होने से भवनस्वामियों को कई लाभ होंगे। अब एक ही स्थान पर दोनों करों का भुगतान संभव होगा और नामांतरण करवाने के लिए अलग-अलग विभागों में चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। जलकल विभाग को भी वसूली के लिए अतिरिक्त कर्मचारियों की जरूरत नहीं पड़ेगी। इसके अलावा अब अलग-अलग महीनों में अलग बिल जारी होने की परेशानी भी खत्म हो जाएगी। गृहकर में किसी भी संशोधन का अपडेट ऑटोमैटिक रूप से जलकर में भी लागू हो जाएगा।
जलकल के महाप्रबंधक कुलदीप सिंह के मुताबिक सॉफ्टवेयर को साइबर सुरक्षा की दृष्टि से मजबूत बनाया जा रहा है। हैकिंग की आशंका को देखते हुए सिक्योरिटी ऑडिट पूरा होने के बाद इस महीने ही इसका ट्रायल किया जाएगा और फिर इसे लागू कर दिया जाएगा।






