लखनऊ, 3 दिसंबर 2025:
विश्व दिव्यांग दिवस के अवसर पर बुधवार को यूपी की राजधानी लखनऊ स्थित इंदिरा गांधी प्रतिष्ठान में आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम का सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुभारंभ किया। इस दौरान उन्होंने उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दिव्यांगजन, संस्थाओं और दिव्यांग कर्मचारियों को राज्यस्तरीय पुरस्कारों से सम्मानित किया। कार्यक्रम में सीएम ने दिव्य कला प्रदर्शनी का उद्घाटन किया और दिव्यांग बच्चों को पाठ्य सामग्री, मेधावी छात्र-छात्राओं को टैबलेट एवं प्रमाण-पत्र वितरित किए।

मुख्यमंत्री ने आठ वर्षों में दिव्यांगजन कल्याण के क्षेत्र में अपनी सरकार की उपलब्धियां साझा करते हुए कहा कि 2017 से पहले दिव्यांगजन पेंशन में भारी भ्रष्टाचार होता था। उस समय 300 रुपये मासिक पेंशन दी जाती थी, जिसमें से भी कटौती की जाती थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मार्गदर्शन में पेंशन बढ़ाकर 1000 रुपये कर दी गई है। राशि सीधे लाभार्थियों के बैंक खाते में स्थानांतरित की जा रही है। वर्तमान में राज्य के 11 लाख से अधिक दिव्यांगजन इसका लाभ उठा रहे हैं।
सीएम योगी ने कहा कि भारत की ऋषि परंपरा हमेशा यह संदेश देती है कि किसी व्यक्ति की क्षमता का निर्धारण उसकी शारीरिक संरचना से नहीं होता। उन्होंने दिव्यांगजनों की हिम्मत, प्रतिभा और उपलब्धियों को नए भारत की शक्ति बताया। उन्होंने कहा कि देश और दुनिया में अनगिनत उदाहरण हैं, जहां सुविधाएं और सहारा मिलने पर दिव्यांगजनों ने समाज और राष्ट्र के लिए उल्लेखनीय योगदान दिया है।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने 30 व्यक्तियों और संस्थाओं को राज्यस्तरीय दिव्यांग सम्मान प्रदान किए और 46 मेधावी दिव्यांग छात्रों को पुरस्कृत किया। इसके अतिरिक्त 500 दिव्यांगजन को सहायक उपकरण भी वितरित किए गए।
इससे पहले मंगलवार को योगी कैबिनेट ने दिव्यांगजनों के लिए बड़ा फैसला करते हुए राज्य के सभी 18 मंडलों में नए दिव्यांगजन पुनर्वास केंद्र (DDRC) स्थापित करने की मंजूरी दी। वर्तमान में 38 जिलों में DDRC संचालित हैं, जिनमें से कुछ संचालन संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। सरकार ने अब इन केंद्रों को आधुनिक संसाधनों से लैस कर पूरी तरह सुदृढ़ रूप से संचालित करने का निर्णय लिया है।
नए DDRC खुलने से दिव्यांगजन एक ही स्थान पर सर्वे, पहचान, सहायक उपकरण, कृत्रिम अंग फिटमेंट, शिविर, प्रशिक्षण, फिजियोथेरेपी, स्पीच थेरेपी जैसी समग्र सेवाएं प्राप्त कर सकेंगे। साथ ही यूडीआईडी कार्ड व दिव्यांग प्रमाणपत्र जैसी महत्वपूर्ण प्रक्रियाएं भी आसान होंगी। इससे न केवल योजनाओं का लाभ समय पर मिलेगा, बल्कि पुनर्वास व्यवस्था भी और अधिक प्रभावी हो जाएगी।






