नई दिल्ली, 10 दिसंबर 2025 :
दिल्ली हाईकोर्ट ने आज इंडिगो एयरलाइन के हालिया संकट पर केंद्र सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने पूछा कि जब एयरलाइन पूरी तरह गड़बड़ा गई, तब सरकार ने क्या कदम उठाए। अदालत ने यह भी सवाल किया कि टिकट की कीमतें अचानक 4-5 हजार से बढ़कर 30 हजार रुपये कैसे पहुंच गईं और बाकी एयरलाइंस ने इस स्थिति का फायदा उठाकर इतनी ज्यादा कीमतें क्यों वसूलीं। कोर्ट ने साफ कहा कि सरकार ने ही हालात को इस मोड़ तक आने दिया है। यह टिप्पणी मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र कुमार उपाध्याय और जस्टिस तुषार राव गेदेला की बेंच ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान की। याचिका में स्वतंत्र जांच और यात्रियों को मुआवजा देने की मांग की गई थी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा कि यह मामला सिर्फ उन लोगों तक सीमित नहीं है जिनकी फ्लाइट रद्द हुई थी, बल्कि इससे बड़े स्तर पर आर्थिक नुकसान भी हुआ है। इसलिए सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसा संकट दोबारा न पैदा हो। इसी मामले पर DGCA ने भी सख्ती दिखाते हुए इंडिगो के CEO पीटर एल्बर्स को गुरुवार दोपहर 3 बजे समन जारी कर बुलाया है।
उधर, केंद्र सरकार ने अब इंडिगो संकट के साथ DGCA के कामकाज की भी जांच करने का फैसला किया है। नागरिक उड्डयन मंत्री राम मोहन नायडू ने एक इंटरव्यू में कहा कि यह गड़बड़ी सामान्य नहीं लगती और इसमें जानबूझकर की गई लापरवाही के संकेत मिल रहे हैं। उन्होंने यात्रियों से माफी मांगते हुए कहा कि जो भी जिम्मेदार होगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। CEO को हटाने के सवाल पर मंत्री ने कहा कि जरूरत पड़ी तो ऐसा कदम भी उठाया जाएगा। उन्होंने बताया कि वे पिछले सात दिनों से लगातार मीटिंग में हैं क्योंकि प्राथमिकता यात्रियों की परेशानी दूर करना है।
DGCA ने अपनी जांच में पाया है कि इंडिगो ने जितनी ऑपरेटिंग क्षमता दिखाई, वह उतने विमान उड़ाने की स्थिति में थी ही नहीं। एयरलाइन ने दावा किया था कि उसके पास 403 विमान हैं, लेकिन अक्टूबर में सिर्फ 339 और नवंबर में 344 विमान ही संचालन में थे। बावजूद इसके इंडिगो ने विंटर शेड्यूल में 6 प्रतिशत ज्यादा स्लॉट ले लिए। नवंबर में निर्धारित 64,346 फ्लाइट्स में से केवल 59,438 फ्लाइट्स ही उड़ान भर सकीं, यानी करीब 4,900 कम।
जांच में यह भी सामने आया कि सर्दियों के मौसम में पहले से दबाव रहता है, फिर भी एयरलाइन ने पिछले साल की तुलना में 9.66 प्रतिशत ज्यादा फ्लाइट्स का शेड्यूल ले लिया, जबकि उसके पास उतने विमानों की क्षमता मौजूद ही नहीं थी। इसी अतिरिक्त दबाव ने पूरे सिस्टम को प्रभावित किया और आखिरकार बड़ी संख्या में फ्लाइट कैंसिलेशन और भारी अव्यवस्था देखने को मिली।






