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मीरजापुर की महिलाएं कस्टम ज्वेलरी से बदल रही हैं किस्मत, सीएम योगी का ये प्लान बना गेमचेंजर

मीरजापुर की महिलाओं ने सीएम योगी की पहल और प्रशिक्षण के सहारे कस्टम ज्वेलरी उद्यम शुरू कर अपनी आर्थिक स्थिति मजबूत की और मार्केटिंग व नई तकनीक में दक्षता हासिल की

लखनऊ, 12 दिसंबर 2025 :

उत्तर प्रदेश के मीरजापुर जिले के पिपरवा गांव की 28 वर्षीय सुशीला देवी पहले घरेलू जिम्मेदारियों और तंगी में उलझी थीं। पति की सीमित आय में घर का खर्च और बच्चों की पढ़ाई मुश्किल था। इसी बीच उन्हें सीएम योगी आदित्यनाथ की प्रेरणा से चल रहे महिला आत्मनिर्भरता कार्यक्रम की जानकारी मिली और राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन व डेवलपमेंट अल्टरनेटिव्स ने उन्हें सही मार्गदर्शन दिया।

एक सामूहिक बैठक में जब ज्वेलरी बनाने के प्रशिक्षण की बात सामने आई, तो सुशीला ने हिचकिचाते हुए शुरुआत की। घर की जिम्मेदारियों और सीमित संसाधनों के बीच भी उनमें कुछ नया सीखने की इच्छा हमेशा से थी। कस्टम ज्वेलरी का प्रशिक्षण पूरा करने के बाद उन्होंने स्वयं सहायता समूह से 15,000 रुपए का ऋण लिया और छोटा सा कारोबार शुरू किया। धीरे-धीरे उनके हाथों की बनी ज्वेलरी आस-पास के बाजारों में पसंद की जाने लगी। मिशन और संस्था की टीम ने खरीदारों से जुड़ने में भी मदद की, जिससे उनका सामान सीधा बाजार तक पहुंचने लगा।

योगी सरकार की सहायता और लगातार मिल रहे मार्गदर्शन का असर यह हुआ कि कुछ ही महीनों में सुशीला की मासिक आय बढ़कर करीब 15,000 रुपए हो गई। पहले जहां उनकी कोई व्यक्तिगत आय नहीं थी, वहीं अब वे घर खर्च में अपने पति के बराबर साझेदार बन गई हैं। उन्होंने गांव की कुछ अन्य महिलाओं को भी अपने काम से जोड़ा, जिससे उनके घरों की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी। अपनी बढ़ती कमाई की मदद से सुशीला ने बच्चों का दाखिला बेहतर स्कूल में करवाया और अब वह अपने परिवार का भविष्य सुरक्षित बनाने की दिशा में आगे बढ़ चुकी हैं।

सुशीला का कहना है, “पहले लगता था कि गांव की महिलाएं घर तक ही सीमित रहती हैं, पर अब समझ आया कि सही मार्गदर्शन मिलने पर हम भी अपना भविष्य अपने हाथों से गढ़ सकती हैं।” सुशीला का आत्मविश्वास अब गांव की अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा बन गया है, और कई महिलाएं उनके साथ नई शुरुआत कर रही हैं।

ग्रामीण आजीविका मिशन की मिशन निदेशक दीपा रंजन का कहना है कि सुशीला जैसी कहानियां इस बदलाव की गवाही हैं, जो योगी सरकार की महिला केंद्रित नीतियों ने ग्रामीण जीवन में लाया है। आज सुशीला गांव की महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन चुकी हैं और यह साबित कर रही हैं कि छोटे गांवों से भी स्वाभिमान और सफलता की नई कहानियां लिखी जा सकती हैं।

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