लखनऊ, 13 दिसंबर 2025:
यूपी अब केवल जनसंख्या और कृषि प्रधान राज्य के रूप में ही नहीं बल्कि देश के उभरते स्टार्टअप हब के रूप में अपनी सशक्त पहचान बना रहा है। इस परिवर्तन की सबसे मजबूत कड़ी बनकर देश का प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान आईआईटी कानपुर उभरा है। ये आज शिक्षा और शोध की सीमाओं से आगे बढ़कर आर्थिक विकास और नवाचार का प्रमुख केंद्र बन चुका है।
आईआईटी कानपुर के स्टार्टअप इनक्यूबेशन एंड इनोवेशन सेंटर (एसआईआईसी) में इस समय 521 से अधिक स्टार्टअप सक्रिय हैं। ये स्टार्टअप न केवल अपने-अपने क्षेत्रों में नवाचार कर रहे हैं बल्कि उत्तर प्रदेश और देश की अर्थव्यवस्था के लिए नए इकनॉमिक ड्राइवर्स के रूप में भी उभर रहे हैं। यह केंद्र उत्तर प्रदेश को नवाचार की नई राजधानी बनाने की दिशा में निर्णायक भूमिका निभा रहा है।

आईआईटी कानपुर के औद्योगिक एवं प्रबंधन इंजीनियरिंग विभाग, डिजाइन प्रोग्राम और एसआईआईसी के इंचार्ज प्रो. दीपू फिलिप के अनुसार योगी आदित्यनाथ सरकार की स्टार्टअप-फ्रेंडली नीतियों ने इस इकोसिस्टम को मजबूत आधार दिया है। आसान फंडिंग, बेहतर इंफ्रास्ट्रक्चर और नीतिगत सहयोग के चलते प्रदेश में इनोवेशन को नई रफ्तार मिली है। सरकार और संस्थान के बीच रणनीतिक साझेदारी ने आईआईटी कानपुर को ऐसा मंच बना दिया है जहां विचार सीधे उद्योग और बाजार से जुड़ रहे हैं।
आईआईटी कानपुर देश का इकलौता ऐसा इनक्यूबेशन सेंटर है जहां स्टार्टअप्स को केवल स्थान और संसाधन ही नहीं बल्कि संस्थान स्वयं मेंटर की भूमिका निभाता है। हर स्टार्टअप के साथ एक फैकल्टी मेंबर को जोड़ा जाता है जो तकनीकी मार्गदर्शन, बिजनेस मॉडलिंग, प्रोडक्ट डेवलपमेंट, मार्केट एक्सेस और निवेशकों से जुड़ने तक हर स्तर पर सहयोग करता है। इसका परिणाम यह है कि यहां से निकलने वाले स्टार्टअप शुरुआती दौर में ही मजबूत नींव के साथ आगे बढ़ते हैं।
विशेष रूप से मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन आधारित स्टार्टअप्स को यहां प्राथमिकता दी जा रही है। मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत के विजन के अनुरूप सेमीकंडक्टर, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक्स, डिफेंस प्रोडक्शन, ड्रोन, एग्री-टेक, क्लीन एनर्जी, आईओटी और एडवांस मैन्युफैक्चरिंग जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर काम हो रहा है। कई स्टार्टअप हजारों करोड़ रुपये के बाजार को लक्ष्य बना चुके हैं। बड़े स्तर पर रोजगार सृजन कर रहे हैं।
आईआईटी कानपुर परिसर में विकसित ड्रोन मैन्युफैक्चरिंग स्टार्टअप द्वारा बनाए गए ड्रोन का उपयोग ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में किया जा चुका है। वहीं, कोविड-19 महामारी के दौरान भी यहां के स्टार्टअप्स ने तकनीकी समाधान देकर अहम भूमिका निभाई थी।
प्रो. दीपू फिलिप बताते हैं कि यह इनक्यूबेटर किसी एक राज्य तक सीमित नहीं है। देश के किसी भी हिस्से से आने वाला स्टार्टअप यहां आवेदन कर सकता है, जहां चयन पूरी तरह आइडिया की गुणवत्ता और व्यावसायिक संभावनाओं पर आधारित होता है। हालांकि इसका सबसे बड़ा लाभ उत्तर प्रदेश को मिल रहा है जो तेजी से देश के स्टार्टअप मानचित्र पर एक मजबूत केंद्र के रूप में उभर रहा है।






