अयोध्या, 16 दिसंबर 2025:
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मंगलवार दोपहर अयोध्या पहुंचे और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख स्तंभ रहे हिंदू धाम पीठाधीश्वर व पूर्व सांसद डॉ. रामविलास दास वेदांती को अंतिम प्रणाम किया। जलसमाधि से पहले हिंदू धाम आश्रम पहुंचकर मुख्यमंत्री ने उनके पार्थिव शरीर पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
अयोध्या आगमन पर मुख्यमंत्री सबसे पहले एयरपोर्ट से सीधे श्रीराम जन्मभूमि मंदिर पहुंचे, जहां उन्होंने रामलला के दर्शन किए। इसके बाद हनुमानगढ़ी पहुंचकर हनुमंत लला की आराधना की। वहां से मुख्यमंत्री का काफिला हिंदू धाम आश्रम पहुंचा, जहां उन्होंने दिवंगत वेदांती को नमन किया।

श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि डॉ. रामविलास दास वेदांती का संपूर्ण जीवन रामकाज को समर्पित रहा। उन्होंने रामकथा का वाचन करते-करते नश्वर शरीर से मुक्ति पाई। राम जन्मभूमि आंदोलन के हर चरण में उनकी सक्रिय भूमिका रही। 1983 से लेकर आज तक वे हर आंदोलन में अग्रिम पंक्ति में रहे और मंदिर निर्माण की आवाज को देशभर में बुलंद किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि भव्य राम मंदिर निर्माण के बाद 25 नवंबर को आयोजित ध्वजारोहण समारोह में भी वेदांती जी की उपस्थिति रही और उन्हें उनका सानिध्य प्राप्त हुआ था। गोरक्षपीठ से उनका गहरा संबंध रहा। उनका निधन न केवल संत समाज बल्कि सनातन संस्कृति के लिए भी स्तब्ध करने वाला है।
हिंदू धाम आश्रम में अंतिम दर्शन के लिए संत-महंतों, श्रद्धालुओं और जनप्रतिनिधियों की भारी भीड़ उमड़ी। प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही, पूर्व सांसद बृजभूषण शरण सिंह, विनय कटियार, लल्लू सिंह, बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार इकबाल अंसारी, अयोध्या विधायक वेद प्रकाश गुप्त, महापौर महंत गिरीश पति त्रिपाठी, पूर्व महापौर ऋषिकेश उपाध्याय सहित अनेक भाजपा नेता और जनप्रतिनिधि श्रद्धांजलि देने पहुंचे।

प्रदेश के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि डॉ. वेदांती बाल्यकाल से ही अयोध्या में रहे और राम मंदिर आंदोलन को आगे बढ़ाने में उन्होंने ऐतिहासिक भूमिका निभाई। देशभर में प्रवास कर उन्होंने हिंदू समाज को जागरूक किया। वे शास्त्रों के गहरे ज्ञाता और ओजस्वी वक्ता थे, जिनके विचारों से आंदोलन को नई ऊर्जा मिली।
हिंदू धाम आश्रम में सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए थे। थोड़ी देर बाद दिवंगत वेदांती की अंतिम यात्रा नगर भ्रमण के लिए निकली, जिसके बाद सरयू तट पर पूरे विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।






