लखनऊ, 21 दिसंबर 2025:
यूपी ने रोजगार गारंटी व्यवस्था के तहत वित्तीय वर्ष 2025-26 में एक उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करते हुए ग्रामीण आजीविका के क्षेत्र में नया मानक स्थापित किया है। विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एवं आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जीरामजी (मनरेगा) के माध्यम से प्रदेश में अब तक 23 लाख से अधिक महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इससे महिलाओं की आय में वृद्धि हुई और उनकी आत्मनिर्भरता और सामाजिक भागीदारी को भी नई मजबूती मिली है।
इस वित्तीय वर्ष में ग्रामीण रोजगार व्यवस्था के तहत करीब 32 हजार महिला मेट को जिम्मेदारी सौंपी गई है। ये महिला मेट गांवों में कार्यों के प्रबंधन, निगरानी और श्रमिकों के समन्वय में अहम भूमिका निभा रही हैं। सरकार द्वारा महिला मेट्स को 111 करोड़ रुपये से अधिक की राशि सीधे उनके बैंक खातों में हस्तांतरित की जा चुकी है। समयबद्ध और पारदर्शी भुगतान प्रणाली ने महिलाओं के बीच सरकारी योजनाओं के प्रति विश्वास को और मजबूत किया है।

सरकार की रणनीति के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) से जुड़ी महिला स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों को महिला मेट के रूप में प्राथमिकता दी जा रही है। इससे रोजगार सृजन के साथ-साथ गांवों में महिला नेतृत्व, निर्णय क्षमता और प्रबंधन कौशल को भी बढ़ावा मिला है। महिलाएं अब केवल श्रमिक नहीं बल्कि विकास की सहभागी और नेतृत्वकर्ता बनकर उभर रही हैं।
भुगतान व्यवस्था में भी प्रदेश ने बड़ी सफलता दर्ज की है। वित्तीय वर्ष 2025-26 में 97 प्रतिशत से अधिक श्रमिकों को समय से मजदूरी का भुगतान किया गया है। यह आंकड़ा दर्शाता है कि रोजगार गारंटी प्रणाली में पारदर्शिता, जवाबदेही और कार्यकुशलता लगातार सुदृढ़ हो रही है।
अब तक ग्रामीण रोजगार गारंटी के तहत प्रदेश में 6703 करोड़ रुपये से अधिक का व्यय किया जा चुका है। इससे गांवों में विकास कार्यों को गति मिली है। स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़े हैं। पलायन पर प्रभावी रोक लगी है। साथ ही अनुसूचित जाति और जनजाति के परिवारों को प्राथमिकता देकर समावेशी विकास को भी सुनिश्चित किया जा रहा है।
रोजगार गारंटी व्यवस्था के माध्यम से उत्तर प्रदेश के गांवों में आजीविका का एक स्थायी और मजबूत आधार तैयार हो रहा है। इससे लाखों परिवार आत्मनिर्भरता की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।






