लखनऊ, 22 दिसंबर 2025:
UP विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सोमवार को वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूर्ण होने के उपलक्ष्य में विधानसभा में विशेष चर्चा कराई गई। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने भावपूर्ण संबोधन में कहा कि वंदे मातरम् केवल एक गीत नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम की चेतना, क्रांतिकारियों के साहस और राष्ट्र के आत्मसम्मान का मंत्र है। उन्होंने इसे भारतीय राष्ट्रवाद, सांस्कृतिक चेतना और संवैधानिक मूल्यों का प्रतीक बताया।
सीएम ने कहा कि पीएम मोदी के मार्गदर्शन में संभवतः उत्तर प्रदेश पहली विधानसभा है जहां वंदे मातरम् जैसे ऐतिहासिक विषय पर इतनी विस्तार से चर्चा हो रही है। उनके अनुसार यह आयोजन किसी गीत की वर्षगांठ भर नहीं बल्कि भारत माता के प्रति राष्ट्रीय कर्तव्यों की पुनर्स्थापना का अवसर है। वंदे मातरम् का सम्मान अभिव्यक्ति के साथ हमें हमारे संवैधानिक दायित्वों और राष्ट्र के प्रति उत्तरदायित्व का बोध कराता है।

मुख्यमंत्री ने ऐतिहासिक पृष्ठभूमि का उल्लेख करते हुए कहा कि जब वंदे मातरम् अपनी रजत जयंती मना रहा था तब देश ब्रिटिश हुकूमत के अधीन था। 1857 के प्रथम स्वातंत्र्य समर की विफलता के बाद अंग्रेजी शासन दमन और अत्याचार की पराकाष्ठा पर पहुंच चुका था। काले कानूनों के माध्यम से जनता की आवाज दबाई जा रही थी। यातनाएं दी जा रही थीं। ऐसे निराशाजनक दौर में वंदे मातरम् ने देश की सुप्त चेतना को जीवित रखा।
उन्होंने बताया कि जब देश वंदे मातरम् की रजत और स्वर्ण जयंती मना रहा था तब भी ब्रिटिश शासन कायम था। उस समय स्वतंत्रता की चेतना को आगे बढ़ाने का मंच कांग्रेस के अधिवेशन बने जहां वर्ष 1896 में रवीन्द्रनाथ टैगोर ने पहली बार इसे स्वर दिया। इसके बाद यह गीत पूरे देश के लिए स्वतंत्रता का मंत्र बन गया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जब वंदे मातरम् की शताब्दी आई, तब वही कांग्रेस सत्ता में थी जिसने कभी इस गीत को अपने मंच से देश की आत्मा जगाने का माध्यम बनाया था लेकिन उसी दौर में आपातकाल लगाकर संविधान का गला घोंटने का कार्य किया गया।
उन्होंने इसे इतिहास का ऐसा अध्याय बताया, जिसे भुलाया नहीं जा सकता। आज वंदे मातरम् के 150 वर्ष पूरे होने पर भारत पीएम मोदी के नेतृत्व में आत्मविश्वास के साथ विकसित भारत की ओर अग्रसर है। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रगीत के अमर रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय का जो सपना था उसे नया भारत साकार करने की दिशा में आगे बढ़ चुका है।
उन्होंने 1857 के स्वातंत्रता संग्राम के नायकों बैरकपुर के मंगल पांडेय, गोरखपुर के शहीद बंधु सिंह, मेरठ के धन सिंह कोतवाल और झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का स्मरण करते हुए कहा कि स्वाधीनता राजनीति नहीं बल्कि साधना थी। ‘सुजलाम, सुफलाम् मलयज-शीतलाम्’ की पंक्तियों ने भारत की प्रकृति, समृद्धि और शक्ति को एक साथ जीवंत कर दिया। मुख्यमंत्री के अनुसार वंदे मातरम् औपनिवेशिक मानसिकता के प्रतिकार और राष्ट्र की आत्मा का शाश्वत प्रतीक है।






