लखनऊ, 29 दिसंबर 2025:
उत्तर प्रदेश में अवैध नशे के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के तहत खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) ने कोडीनयुक्त कफ सिरप की अवैध सप्लाई पर अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई की है। तीन महीने तक चले इस अभियान में कोडीन कफ सिरप की पैरेलल सप्लाई चेन का खुलासा हुआ है, जिसे नशे के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा था।
एफएसडीए की जांच में सामने आया कि कफ सिरप की बड़ी मात्रा का इस्तेमाल इलाज के बजाय नशे के लिए किया जा रहा था। इस पूरे मामले में 52 जिलों में सघन जांच हुई, 36 जिलों में अवैध डायवर्जन पाया गया और 161 फर्मों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई।
कई राज्यों तक फैला था नेटवर्क
प्रदेश में कार्रवाई से पहले एफएसडीए ने झारखंड, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में जांच की। यहां से यूपी के सुपर स्टॉकिस्ट और होलसेलर के साथ कारोबारी संबंधों के सबूत जुटाए गए। इसके बाद यूपी में कार्रवाई शुरू हुई, जिससे अवैध सप्लाई की पूरी कड़ी सामने आ गई।
एफएसडीए की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस और एसटीएफ ने नशे के कारोबार से जुड़े लोगों के खिलाफ एनडीपीएस और बीएनएस के तहत मुकदमे दर्ज किए। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में 22 आरोपियों की रिट याचिकाएं खारिज करते हुए एनडीपीएस एक्ट के तहत कार्रवाई को सही ठहराया।
52 जिलों में 332 थोक दवा प्रतिष्ठानों की जांच
पिछले तीन महीनों में एफएसडीए ने 52 जिलों में 332 से ज्यादा थोक दवा विक्रेताओं की जांच की। जांच में मिले दस्तावेज और भौतिक साक्ष्यों के आधार पर 161 फर्मों और संचालकों के खिलाफ केस दर्ज किया गया। जिलाधिकारियों को गैंगस्टर एक्ट लगाने के लिए भी पत्र भेजे गए हैं, ताकि नशे से कमाई गई संपत्ति जब्त की जा सके।
जांच में सामने आया पूरा खेल
एफएसडीए ने जनपद स्तर पर कई टीमें बनाई और मुख्यालय से उनकी निगरानी की गई। टीमों ने ग्वालियर स्थित केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो से कोडीन फॉस्फेट के कोटे और उठान का विवरण जुटाया। इसके बाद हिमाचल, हरियाणा और उत्तराखंड में कफ सिरप बनाने वाली कंपनियों की जांच की गई।
जांच में पाया गया कि कई होलसेलरों के पास स्टॉक पहुंचने का कोई ठोस प्रमाण नहीं था। रिटेल मेडिकल स्टोर के नाम पर बिक्री के बिल भी नहीं मिले। दिल्ली और रांची के कुछ सुपर स्टॉकिस्ट और उनसे जुड़े होलसेलरों के जरिए कफ सिरप और एनडीपीएस श्रेणी की दवाओं की अलग सप्लाई चेन बनाई गई थी।
इलाज से कई गुना ज्यादा सप्लाई
वर्ष 2024-25 में प्रदेश में कोडीनयुक्त कफ सिरप की सप्लाई वास्तविक चिकित्सा जरूरत से कई गुना अधिक पाई गई। जांच में एबॉट हेल्थ केयर की फेन्सिडिल की 2.23 करोड़ से ज्यादा बोतलें, लैबोरेट फार्मास्युटिकल्स की एस्कॉफ की 73 लाख से ज्यादा बोतलें और अन्य कंपनियों की करीब 25 लाख बोतलों की सप्लाई सामने आई, जिनका इलाज में इस्तेमाल साबित नहीं हो सका।
85 आरोपी गिरफ्तार, जांच जारी
एफएसडीए की रिपोर्ट पर पुलिस और एसटीएफ ने 79 मुकदमे दर्ज किए हैं। अब तक 85 आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। मामले की जांच के लिए गठित एसआईटी भी काम कर रही है। संभावना है कि अगले महीने एसआईटी अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौंपेगी। https://thehohalla.com/father-held-at-airport-in-codeine-cough-syrup-racket/
और सख्त होगी दवा लाइसेंस प्रणाली
मुख्यमंत्री के निर्देश पर एफएसडीए ने थोक दवा विक्रय लाइसेंस प्रणाली को और सख्त बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसमें दवा प्रतिष्ठानों की जियो टैगिंग, भंडारण क्षमता की जांच, फोटो रिकॉर्ड और टेक्निकल स्टाफ के अनुभव प्रमाण पत्र की अनिवार्य जांच शामिल है। साथ ही कोडीन कफ सिरप के निर्माण और सप्लाई पर कड़ी निगरानी के लिए केंद्र सरकार से दिशा निर्देश जारी कराने का प्रस्ताव भी भेजा गया है।






