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लखनऊ पहुंचे सदगुरु ऋतेश्वर महाराज, राष्ट्रकथा से पहले आध्यात्मिकता पर दिया ये बड़ा संदेश

लखनऊ में सदगुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि बढ़ते तनाव और भौतिकता के दौर में मानसिक अवसाद से मुक्ति का सबसे सशक्त मार्ग आध्यात्मिकता है

पंकज

काकोरी (लखनऊ), 31 दिसंबर 2025 :

वर्तमान समय में बढ़ते तनाव, प्रतिस्पर्धा और भौतिक सोच के कारण समाज में मानसिक अवसाद तेजी से बढ़ रहा है। इससे मुक्ति का सबसे प्रभावी मार्ग आध्यात्मिकता है। यह विचार सदगुरु ऋतेश्वर महाराज ने मंगलवार को लखनऊ में रखा। वह अयोध्या में आयोजित होने वाली राष्ट्रकथा में शामिल होने से पहले दुबग्गा स्थित आईआईएम रोड पर पहुंचे थे।

सदगुरु ऋतेश्वर महाराज के आगमन पर जॉगर्स पार्क के सामने एक निजी लॉन में भजन संध्या और सत्संग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे। भजनों और सत्संग के दौरान पूरा वातावरण भक्तिमय बना रहा और श्रद्धालुओं ने आध्यात्मिक शांति का अनुभव किया।

इससे पहले आयोजित प्रेस वार्ता में सदगुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि अनियंत्रित इच्छाएं, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और भौतिक सुखों की लालसा मानसिक संतुलन को कमजोर कर रही है। उन्होंने कहा कि आध्यात्मिकता व्यक्ति को भीतर से मजबूत बनाती है और कठिन परिस्थितियों से निपटने की शक्ति प्रदान करती है।

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उन्होंने बताया कि अयोध्या में आयोजित होने वाली राष्ट्रकथा केवल धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह छात्रों और युवाओं के लिए ज्ञान और मार्गदर्शन का मंच है। राष्ट्रकथा में ज्ञान, विज्ञान, सनातन संस्कृति, जीवन प्रबंधन और अवसाद नियंत्रण जैसे विषयों पर चर्चा की जाएगी, ताकि युवा पीढ़ी को सही दिशा मिल सके।

राजनीति और धर्म के संबंध पर सदगुरु ऋतेश्वर महाराज ने कहा कि दोनों को अलग नहीं किया जा सकता। रामराज्य और कृष्णकाल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति का आधार जनकल्याण होना चाहिए। शिक्षा व्यवस्था पर उन्होंने कहा कि देश में अब भी मैकाले पद्धति की शिक्षा प्रणाली लागू है, जो भारतीय मूल्यों से दूर है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस व्यवस्था में बदलाव का आश्वासन दिया है। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि अयोध्या में होने वाली राष्ट्रकथा के दौरान बांके बिहारी की चरण पादुका और बंसी के दर्शन सात दिनों तक श्रद्धालुओं को कराए जाएंगे, जिसके बाद इन्हें विधि विधान के साथ वापस समर्पित किया जाएगा।

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