उमरिया, 30 अक्टूबर, 2024
मध्य प्रदेश के उमरिया में स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व क्षेत्र में एक साथ सात हाथियों की मौत से हड़कंप मच गया है। मंगलवार को चार हाथियों की मौत हुई थी, जिसके बाद बुधवार को तीन हाथियों ने भी दम तोड़ दिया। हाथियों की मौत के पीछे कोदो की फसल खाना बताया जा रहा है। एक साथ इतने हाथियों की मौत से कांग्रेस भी सरकार पर सवाल उठा रही है, जिसके बाद सीएम मोहन यादव ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिए हैं। जानकारी के अनुसार मंगलवार के दिन 13 हाथियों का झुंड बांधवगढ़ में एक साथ घूम रहा था, जिसमें से 10 हाथियों की तबीयत ख़राब हो गई। मंगलवार के दिन ही चार हाथियों की मौके पर मौत हो गई और बाक़ी बेहोश मिले। बुधवार की सुबह 3 हाथियों की भी मौत की ख़बर सामने आयी। डॉक्टरों का कहना है कि हाथियों ने किसी जहरीले या नशीले पदार्थ का सेवन किया है। इस एरिया में कोदो-कुटकी भी होती है। आशंका है कि हाथियों ने ज्यादा मात्रा या अधपका कोदो-कुटकी खाया होगा, इससे डिहाइड्रेशन भी हो सकता है। मरने वाले हाथियों में एक नर और छह मादा हाथी हैं।
इस पूरे मामले पर दिल्ली से एनटीसीए (नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी) की तीन सदस्यीय टीम जांच के लिए बांधवगढ़ पहुंची है। वहीं, एमपी सरकार ने भी इस मामले पर जांच के लिए SIT गठित की है। हाथियों के लिए लगातार काम करने वाले वाइल्ड लाइफ एक्सपर्ट अभिलाष खांडेकर का कहना है कि ये दुखद है। हाथी झारखंड और छत्तीसगढ़ में माइनिंग की वजह से भटकते भटकते एमपी के इलाकों में पहुंच रहे है । अब उन्होंने क्या खाया है ? क्या पिया है ? ये सब जाँच का विषय है । सरकार को इस मामले पर गंभीरता के साथ जाँच करनी होगी ।
वहीं, ग्रामीणों का कहना है कि कोदो और कुटकी की फसल ज़्यादा खाने से भी मौत हो सकती है क्यों की उसमें नशा होता है। ग्रामीणों ने तो ये भी कहा कि सर्पों के कई जोड़े जब मीटिंग पीरियड में फसल पर घूम जाए तो फसल ज़हरीली हो जाती है। कई बार इसके कारण बैलों की भी मौत हो चुकी हैं। वहीं, इस पूरे मामले पर सियासत भी शुरू हो गई हैं। कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद का कहना है की अब तो सरकार इंसानों तो छोड़ो जानवरों की भी सुरक्षा नहीं कर पा रही है । हमें लगता है हाथियों को ज़हर देकर मारा गया है । इसकी उच्च स्तरीय जाँच हों। वहीं, बीजेपी का कहना है MP तो एक ऐसा स्टेट है जहाँ बाघ से लेकर तेंदुआ तक सभी की सबसे ज़्यादा तादाद है । कांग्रेस ख़ुद तो कुछ कर नही सकी मगर हर मामले पर गंदी सियासत ज़रूरी करती है। फ़िलहाल इन हाथियों को जेसीबी की मदद से गड्डों में दफ़नाया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा कि आख़िर मौत का असल कारण क्या है।
बता दें, मध्य प्रदेश टाइगर स्टेट से लेकर चीता, तेंदुआ, भेड़िया और घड़ियाल स्टेट है। हालांकि हाथियों की संख्या 100 से लेकर 150 तक है। आज से एक दशक पहले ऐसा दौर भी था जब MP में महज़ 7-8 हाथी ही थे। छत्तीसगढ़ और झारखंड के इलाकों से हाथी MP के उमरिया, सीधी सहित अन्य इलाकों में पहुंचे।






