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सड़कों पर उमड़ा भक्तों का सैलाब…मनकामेश्वर मंदिर में दिखीं कतारें, द्वापर युग से जुड़ा है इतिहास

मयंक चावला

आगरा, 21 जुलाई 2025:

यूपी के आगरा में सावन के दूसरे सोमवार पर रविवार शाम से चारों कोनों पर बने श्री बल्केश्वर, श्री राजेश्वर मंदिर, पृथ्वीनाथ मंदिर, श्री कैलाश मंदिर के साथ ही श्री मनकामेश्वर और श्री रावली मंदिर सहित शहर की परिक्रमा लगाने के लिए भोले के भक्त निकले। रात को निकला सैलाब दोपहर तक छाया रहा। इस दौरान द्वापर युग से जुड़े अपने इतिहास को समेटे मनकामेश्वर मंदिर में लंबी कतारें दिखाईं दीं। यहां 28 वीं पीढ़ी के महंत योगेश पुरी मंदिर की सेवा का जिम्मा संभाले हैं।

शिवमय हुआ आगरा शहर, भंडारे लगे झांकियां सजीं

आगरा शहर सावन के दूसरे सोमवार को शिवमय हो गया। रास्ते में श्रद्धालुओं का रेला और शिवालयों में हर-हर महादेव के उद्घोष के बीच जैसे सब कुछ थम गया था। रास्तों पर सुरक्षा के लिए पुलिस तैनात थी और रात से ही न टूटने वाला श्रद्धालुओं का रेला गुजरता रहा। माथे पर भोलेबाबा के नाम का चंदन, नंगे पैर भोलेनाथ के स्वरूप वाली टी-शर्ट पहने युवा , बच्चे व बुजुर्ग नाचते गाते हुए आगे बढ़ते दिखे। बल्केश्वर मेला भी रविवार की शाम को ही शुरू हो गया। रास्ते मे शिव भक्तों पर फूलों की बारिश हुई व जगह-जगह भंडारे लगाकर पानी, कोल्ड ड्रिंक पूड़ी-सब्जी का वितरण किया गया। इस दौरान भोलेनाथ की मनमोहक झांकियां भी सजाई गई हैं।

भगवान शंकर ने कृष्ण का बालक रूप देखकर स्वयं की थी मनकामेश्वर शिवलिंग की स्थापना

शिवभक्ति के इसी उत्सव के बीच प्राचीन मनकामेश्वर मंदिर में आस्था का महाकुंभ दिखाई दिया। मान्यता है कि द्वापर युग में इस शिवलिंग की स्वयं भोले शंकर ने की थी। भगवान शिव बाल कृष्ण के दर्शन के लिए गए तो यशोदा मां ने उन्हें अपने रूप के कारण कृष्ण को उनसे मिलाने से मना कर दिया। भगवान शिव के दुखी होने पर यशोदा मां ने कृष्ण को उनसे मिलवाया। जिससे शिव जी ने प्रसन्न होकर यहां शिवलिंग की स्थापना की। उनकी दर्शन की कामना।पूरी हुई तो इसे मनकामेश्वर का नाम मिला। मंदिर के गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग चांदी से मढ़ा हुआ है।

मंदिर परिसर में हैं ऋणमुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग

श्री मनकामेश्वर नाथ मठ के महंत योगेश पुरी का कहना है कि मंदिर परिसर में ऋणमुक्तेश्वर और सिद्धेश्वर महादेव के शिवलिंग भी हैं। सुबह शाम मनकामेश्वर नाथ की पूजा अर्चना की जाती है। अलग-अलग रूप में बाबा को सजाया जाता है और सावन मास के महीने में विशेष रूप से बाबा पर गंगाजल चढ़ता है और फिर फूलों से उनका श्रृंगार किया जाता है। बाबा मनकामेश्वर नाथ की छवि अद्भुत दिखती है। 1980 में पुरात्तव विभाग की टीम ने यहां आकर सर्वे किया था। यह बताया गया था कि मंदिर 3500 साल से भी पुराना हो सकता है लेकिन उन्होंने सर्वे नहीं कराया । महंत योगेश पुरी यहां पर 28वी पीढ़ी के रूप में सेवा कर रहे हैं।

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