
धमतरी, 10 मार्च 2025
छत्तीसगढ़ के धमतरी में एक गुमनाम गांव सेमरा में होली तय तिथि से करीब एक सप्ताह पहले ही मनाई जाती है। इस साल होली 14 मार्च को है और गांव के लोग 9 मार्च को रंग खेलते हैं, जब आस-पास के गांवों के लोग भी होली मनाने में शामिल होते हैं। होलिका दहन की रस्म एक दिन पहले यानी 8 मार्च को ही पूरी कर ली गई थी। न केवल होली, बल्कि दिवाली, हरेली और पोला जैसे त्यौहार भी यहां कैलेंडर की तिथि से पहले मनाए जाते हैं।
गांव के कामता निषाद कहते हैं, “हमारे गांव में पुरानी परंपरा के अनुसार 9 मार्च को होली मनाई गई। गांव में इस त्योहार को लेकर काफी उत्साह है। होली के साथ ही दिवाली, हरेली और पोला का त्योहार भी एक सप्ताह पहले से मनाया जाता है। हमें इसके बारे में सटीक जानकारी नहीं है, लेकिन हम इस परंपरा का पालन अनादि काल से करते आ रहे हैं।”
किसी भी ग्रामीण को इस बात की जरा भी जानकारी नहीं है कि ये त्यौहार पहले से क्यों मनाए जाते हैं, तथा उनका कहना है कि वे तो अपने पूर्वजों द्वारा अपनाई गई परंपरा का ही पालन कर रहे हैं।
एक अन्य ग्रामीण तिलूराम सिन्हा ने कहा, “यह परंपरा हमारे पूर्वजों द्वारा कायम रखी गई है। मैं पिछले 40 वर्षों से इसे इसी तरह होते देख रहा हूं। हमने 8 मार्च को होलिका दहन किया और अगले दिन सुबह गांव के देवता सरदार देव की पूजा करने के बाद होली मनाई।”
इस दिन गांव के लोग पहले सरदार देव के मंदिर में पूजा करते हैं और फिर होली मनाते हैं। खास बात यह है कि इस मंदिर में महिलाओं का प्रवेश वर्जित है। केवल पुरुष ही इस मंदिर में जाकर पूजा कर सकते हैं।
पता चला कि सालों पहले देवता ने गांव के मुखिया को आदेश दिया था कि वे बीमारियों और अकाल जैसी आपदाओं से बचने के लिए हर त्यौहार को तय समय से पहले मनाएं। तब से यह परंपरा चली आ रही है।
गांव के निवासी संतोष कुमार यादव ने बताया, “ऐसी मान्यता है कि सरदार देव भक्तों की हर मनोकामना पूरी करते हैं। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि गांव में एक आपदा आई थी, जिसके बाद से यह अनोखी परंपरा निभाई जाने लगी।”






