नई दिल्ली, 24 अक्टूबर 2025 :
भारतीय विज्ञापन उद्योग के सबसे प्रभावशाली चेहरों में शुमार और क्रिएटिविटी का प्रतीक कहे जाने वाले पीयूष पांडे का गुरुवार को 70 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। चार दशक से अधिक समय तक वे ओगिल्वी इंडिया की पहचान बने रहे और भारतीय विज्ञापन को आम लोगों की भाषा और भावनाओं से जोड़ने का काम किया। पीएम मोदी ने भी उन्हें भावुक होकर याद किया और एक्स पर श्रद्धांजलि दी।
पीयूष पांडे ने अपनी विशिष्ट मूंछों, सहज मुस्कान और लोगों की नब्ज़ पकड़ने वाली कहानी कहने की क्षमता से विज्ञापन को सिर्फ़ प्रोडक्ट बेचने के टूल से हटाकर भारत की रोज़मर्रा की ज़िंदगी और संस्कृति की आवाज़ बना दिया। 1955 में जयपुर में जन्मे पीयूष पांडे नौ भाई-बहनों में से एक थे। परिवार में कला और रचनात्मकता की मजबूत परंपरा रही। बहन ईला अरुण ने गायकी और अभिनय की दुनिया में झंडा गाड़ा, जबकि भाई प्रसून पांडे विज्ञापन निर्देशन में प्रतिष्ठित नाम बने। उनकी पत्नी का नाम नीता पांडे है।

क्रिकेटर, चाय बागान कर्मचारी, मजदूर, जिंदगी के अलग-अलग अनुभवों ने उनकी सोच को जमीनी होने में मददगार बनाया। 27 साल की उम्र में उन्होंने विज्ञापन जगत में कदम रखा और 1982 में ओगिल्वी इंडिया से जुड़ गए। वहीं से उनके असाधारण करियर की शुरुआत हुई। उन्होंने विज्ञापन की भाषा व भाव में ऐसा बदलाव किया कि उसका असर पूरे भारत के जनमानस को महसूस हुआ। विज्ञापनों को अंग्रेजीदां दुनिया से निकालकर आम भारतीय की भाषा में ढालते हुए पीयूष पांडे ने ऐसे अभियान रचे जो सिर्फ़ मशहूर ही नहीं हुए बल्कि लोकप्रिय संस्कृति का हिस्सा बन गए।
इतनी ऊंचाई पर पहुंचने के बावजूद वे खुद को ‘टीम प्लेयर’ कहकर पहचानते थे। वे कहते थे “ब्रायन लारा भी अकेले वेस्टइंडीज को नहीं जिता सकता, फिर मैं कौन हूं?” उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया दुनिया की सबसे अधिक पुरस्कार जीतने वाली एजेंसियों में शामिल हुई। 2018 में उन्हें और उनके भाई प्रसून पांडे को कान्स लायंस का लाइफटाइम अचीवमेंट ‘Lion of St. Mark’ सम्मान मिला। यह उपलब्धि हासिल करने वाले वे पहले एशियाई बने।
उनकी रचनात्मकता ने औद्योगिक व सामाजिक और राजनीतिक संवाद को भी नया चेहरा दिया। उनकी लेखनी ने ब्रांड्स को घर-घर तक पहुंचाया और लोगों के दिलों में जगह बनाई। पीयूष पांडे के निधन को भारतीय विज्ञापन जगत एक अपूरणीय क्षति मान रहा है। उनकी जीवंत रचनात्मकता, जमीनी हास्य, नेतृत्व और मानवता लंबे समय तक याद की जाएंगी। उनकी शानदार मूंछों से लेकर उनकी गूंजती हंसी तक, हर खुशी में उनका रंग हमेशा महसूस होगा।
इनमें दिखी उनकी क्रिएटिविटी:
– दूरदर्शन का प्रतिष्ठित गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा”
– चुनावी इतिहास में दर्ज नारा “अबकी बार, मोदी सरकार”
– एशियन पेंट्स – “हर खुशी में रंग लाए”
– कैडबरी – “कुछ खास है…”
– फेविकोल – प्रतिष्ठित विज्ञापन फिल्में
– हच – पग वाला विज्ञापन






