
नई दिल्ली, 1 जुलाई 2025
डॉक्टर्स डे के मौके पर एक बड़ा सवाल फिर चर्चा में है—क्या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) भविष्य में डॉक्टरों की जगह ले सकता है? डिजिटल युग में जब हर क्षेत्र में AI का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, तब हेल्थकेयर सेक्टर भी इससे अछूता नहीं है। X-ray, MRI, ब्लड रिपोर्ट एनालिसिस से लेकर सर्जरी तक में AI तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। पर क्या यह तकनीक इंसानी संवेदनाओं और अनुभव का विकल्प बन सकती है?
AI की सबसे बड़ी ताकत उसका डेटा प्रोसेसिंग और स्पीड है। यह सेकंड्स में हजारों रिपोर्ट्स और मेडिकल रिसर्च को स्कैन कर सकता है और संभावित बीमारी व इलाज के सुझाव भी दे सकता है। स्मार्ट वियरेबल्स, हेल्थ चैटबॉट्स और वर्चुअल हेल्थ असिस्टेंट जैसे उपकरण आज रोगी की हेल्थ ट्रैकिंग और शुरुआती डायग्नोसिस में मदद कर रहे हैं।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि AI डॉक्टरों की जगह नहीं ले सकता। दिल्ली के मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज में पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. जुगल किशोर के मुताबिक, “AI एक सहायक है, लेकिन डॉक्टर की अनुभवी समझ, संवेदनशीलता और मरीज से जुड़ाव को नहीं दोहरा सकता। इलाज सिर्फ रिपोर्ट और डेटा से नहीं, बल्कि मरीज की भाषा, मनोदशा और सामाजिक पृष्ठभूमि को समझकर होता है, जो एक मशीन नहीं कर सकती।”
GTB अस्पताल, दिल्ली के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. अजीत कुमार ने भी आगाह किया कि कुछ लोग AI ऐप्स और वेबसाइट्स पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करने लगे हैं। इससे गलत इलाज या डेटा लीक जैसी गंभीर समस्याएं पैदा हो सकती हैं। डॉक्टर की सलाह को नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
विशेषज्ञों का एकमत है कि AI डॉक्टरों का विकल्प नहीं, बल्कि सहयोगी होना चाहिए। सही दिशा में संतुलित उपयोग से यह तकनीक हेल्थकेयर सिस्टम को अधिक प्रभावी और तेज बना सकती है। लेकिन इंसान की संवेदनाएं और अनुभव हमेशा प्राथमिक रहेंगे।






