Raebareli City

एम्स रायबरेली को मिला बड़ा सम्मान, देशभर में सबसे बेहतर है इसका ये विभाग

एम्स रायबरेली को “सर्वश्रेष्ठ बाल शल्य चिकित्सा जागरूकता सप्ताह” के लिए राष्ट्रीय अवॉर्ड मिला है। यह सम्मान बच्चों की सर्जरी और जागरूकता में संस्थान के उत्कृष्ट योगदान की पहचान है।

विजय पटेल

रायबरेली, 12 नवंबर 2025 :

अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) रायबरेली ने एक और बड़ी उपलब्धि हासिल की है। संस्थान को भारतीय बाल शल्य चिकित्सक संघ (IAPS) द्वारा “सर्वश्रेष्ठ बाल शल्य चिकित्सा जागरूकता सप्ताह” के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह सम्मान संघ के हीरक जयंती समारोह के मौके पर उड़ीसा के पुरी में आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन में प्रदान किया गया।

एम्स रायबरेली के बाल शल्य विभाग ने 2 से 8 जून 2025 तक “बाल शल्य चिकित्सा जागरूकता सप्ताह” का सफल आयोजन किया था। इस सप्ताह का उद्देश्य आम लोगों में बच्चों से जुड़ी शल्य चिकित्सा और जन्मजात विकृतियों के आधुनिक इलाज को लेकर जागरूकता फैलाना था। इस पहल का नेतृत्व विभागाध्यक्ष अपर प्रोफेसर डॉ. सुनीता सिंह ने किया, जिनके साथ डॉ. उमेश गुप्ता, डॉ. दिव्य प्रकाश और नर्सिंग स्टाफ की टीम ने सक्रिय भूमिका निभाई।

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कार्यक्रम के दौरान एमबीबीएस और पीजी छात्रों ने कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। एमबीबीएस छात्र दिलखुश मीणा ने राष्ट्रीय निबंध प्रतियोगिता में पहला स्थान प्राप्त किया, जबकि डॉ. सोमतीर्थ रे को IAPS अभिमन्यु बेस्ट पेपर अवॉर्ड मिला। डॉ. अक्षय कुमार ने तीसरा स्थान हासिल किया। विभाग के छात्रों ने नुक्कड़ नाटक, पोस्टर प्रस्तुति और चित्रकला जैसी गतिविधियों से जनता को जागरूक किया।

साल 2020 में स्थापित हुआ यह विभाग अब तक लगभग 1000 बच्चों का सफल उपचार कर चुका है। यहाँ लैप्रोस्कोपी और सिस्टोस्कोपी जैसी अत्याधुनिक तकनीकों से बच्चों का इलाज किया जाता है। हाल ही में यूरोडायनेमिक प्रयोगशाला की शुरुआत की गई है, जहाँ मूत्र असंयम से पीड़ित बच्चों की जांच और उपचार किया जा रहा है। विभाग में “Paediatric Urology” और “Hypospadias Clinic” जैसी विशेष क्लीनिक भी संचालित की जा रही हैं।

संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. (डॉ.) अमिता जैन ने इस उपलब्धि पर पूरी टीम को बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह सम्मान एम्स रायबरेली की उत्कृष्ट चिकित्सा सेवा, शिक्षा और सामाजिक जागरूकता के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि समय पर प्रशिक्षित बाल शल्य चिकित्सक से इलाज मिलने पर जन्मजात विकृतियों वाले बच्चे भी सामान्य और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।

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