
लखनऊ, 28 फरवरी 2025
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर पवित्र महाकुंभ का राजनीतिक अवसरवाद के लिए इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बुधवार को समाप्त हुए 45 दिवसीय आयोजन के दौरान कुप्रबंधन व्याप्त रहा। समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख ने आरोप लगाया कि कुंभ को प्रचार का साधन बना दिया गया है, जिससे लाखों श्रद्धालुओं की भावनाओं की अनदेखी की जा रही है और इसके बजाय कुछ राजनीतिक हितों की पूर्ति की जा रही है। हालांकि, उपमुख्यमंत्री और भाजपा नेता केशव प्रसाद मौर्य ने आरोपों को खारिज कर दिया और विपक्षी नेताओं पर निराधार दावे करने का आरोप लगाया।
मौर्य ने प्रयागराज में एक कार्यक्रम में कहा, “उन्होंने झूठा दावा किया कि संगम पर गंगा, यमुना और सरस्वती का पानी प्रदूषित है। सच्चाई यह है कि आज भी नदी उतनी ही शुद्ध और पवित्र बहती है जितनी हरिद्वार में बहती है।”
लखनऊ में सपा की ओर से जारी बयान में यादव ने कहा, “मुख्यमंत्री ने मनमाने ढंग से 26 फरवरी को कुंभ का औपचारिक समापन घोषित कर दिया, जिससे लाखों बुजुर्ग श्रद्धालु विभिन्न कारणों से अमृत स्नान करने से वंचित रह गए। आयोजन को एक महीने के लिए आगे बढ़ा दिया जाना चाहिए था, लेकिन भाजपा की मनमानी इसमें आड़े आ गई।”
महाकुंभ के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि कन्नौज सम्राट हर्षवर्धन के समय से लेकर 2013 में सपा सरकार तक कुंभ का आयोजन हमेशा सफलतापूर्वक होता रहा है।
उन्होंने कहा, “2013 में सपा शासन के दौरान कुंभ की व्यवस्थाओं की दुनिया भर में प्रशंसा हुई थी। हार्वर्ड विश्वविद्यालय की एक टीम ने योजना, स्वच्छता और भीड़ प्रबंधन की सराहना की थी, यहां तक कि इस पर एक किताब भी प्रकाशित की थी।”
यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार महाकुंभ के आयोजन को लेकर कभी गंभीर नहीं रही। उन्होंने कहा, “इस आयोजन की धार्मिक और आध्यात्मिक पवित्रता को बनाए रखने के बजाय, मुख्यमंत्री ने व्यावसायिक लाभ पर ध्यान केंद्रित किया। व्यवस्थाएं अपर्याप्त थीं, भीड़ प्रबंधन खराब था और परिणामस्वरूप भगदड़ हुई, जिससे कई मौतें हुईं।”
सपा प्रमुख ने भाजपा सरकार पर हताहतों की वास्तविक संख्या छिपाने का भी आरोप लगाया।
यादव ने सवाल किया, “बार-बार मांग के बावजूद सरकार ने भगदड़ या रेलवे स्टेशनों पर हुई दुर्घटनाओं में मरने वालों की सही संख्या का खुलासा नहीं किया है। कई परिवार अभी भी अपने लापता रिश्तेदारों की तलाश कर रहे हैं। यह भाजपा सरकार की सरासर असंवेदनशीलता है। वह मृतक और लापता श्रद्धालुओं की सूची जारी करने से क्यों डर रही है।”
भविष्य में कुंभ मेलों के सुचारू आयोजन को सुनिश्चित करने के लिए यादव ने 2 लाख करोड़ रुपये का एक कोष स्थापित करने का सुझाव दिया, जिसमें राज्य और केंद्र सरकारें 1-1 लाख करोड़ रुपये का योगदान देंगी। उन्होंने प्रयागराज किले को केंद्र सरकार से राज्य सरकार को हस्तांतरित करने की भी मांग की। इस बीच, महाकुंभ के आयोजन के संबंध में राज्य सरकार का बचाव करते हुए मौर्य ने विपक्षी नेताओं की “अनुचित” बयानबाजी की आलोचना की।
प्रयागराज में मीडिया सेंटर में उन्होंने कहा, “इन राजनेताओं का दिमाग नकारात्मकता से प्रदूषित है। मुझे विश्वास है कि महाकुंभ में शामिल हुए 66 करोड़ लोग इस नकारात्मकता को साफ कर देंगे।” उपमुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार 2031 में होने वाले अगले कुंभ (अर्धकुंभ छह साल में होता है) में और भी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए तैयार है।
13 जनवरी को शुरू हुआ महाकुंभ प्रयागराज में त्रिवेणी संगम के तट पर देश-विदेश से 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं के आने के बाद 26 फरवरी को संपन्न हो गया।






