हरेन्द्र दुबे
गोरखपुर, 20 नवंबर 2024:
सीओपीडी (क्रोनिक ऑबस्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज) के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए आज उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद में एक जन जागरूकता रैली का आयोजन किया गया। यह रैली बेतियाहाता से चेस्ट फिजिशियन डॉक्टर नदीम अर्शद के नेतृत्व में निकाली गई। इस वर्ष का सीओपीडी दिवस “अपने फेफड़ों के कार्य क्षमता को जाने” की थीम पर आधारित था।
डॉक्टर नदीम अर्शद ने बताया कि सीओपीडी एक उपचार योग्य बीमारी है, जो सांस फूलने, खांसी और बलगम के कारण बनती है। सीओपीडी का मुख्य कारण तंबाकू के धुएं और प्रदूषण जैसे जोखिम वाले कारक हैं। इसके अलावा, आनुवंशिक और पर्यावरणीय जोखिम कारकों का संयोजन भी इस बीमारी का कारण बन सकता है।
विश्व सीओपीडी दिवस के अवसर पर डॉक्टर अर्शद ने कहा कि इस दिन का उद्देश्य दुनिया भर में सीओपीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाना है, ताकि लोग समय पर निदान करवा सकें और उपचार प्राप्त कर सकें।
सीओपीडी का सही समय पर इलाज न होने पर फेफड़ों की कार्यक्षमता प्रभावित होती है, जो जीवन की गुणवत्ता को भी घटा सकता है। स्पाइरोमेट्री, जो कि फेफड़ों की कार्यप्रणाली को मापने का एक उपकरण है, इसके जरिए जल्दी निदान किया जा सकता है।
इस रैली का मुख्य उद्देश्य यह था कि लोग अपने फेफड़ों की स्वास्थ्य स्थिति को जानें और सीओपीडी के प्रति जागरूक रहें। साथ ही, फेफड़ों के स्वास्थ्य के लिए जरूरी कदम उठाएं।
डॉक्टर अर्शद ने आगे कहा कि सीओपीडी के बोझ को कम करने के लिए धूम्रपान निषेध, वायु प्रदूषण पर काबू पाने और बच्चों में होने वाले नुकसानदेह कारकों की जांच जैसे कदम उठाए जा रहे हैं।
सीओपीडी का इलाज संभव नहीं है, लेकिन इसे रोकने और जीवन की गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए विभिन्न प्रकार के प्रयास किए जा रहे हैं। इसमें सुरक्षित श्वास वातावरण, टेलीहेल्थ एक्सेस, नियमित स्पाइरोमेट्री जांच और अन्य उपचार शामिल हैं।
इस अवसर पर डॉक्टर अर्शद और अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सीओपीडी के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए लोगों से आग्रह किया कि वे अपने फेफड़ों की कार्यक्षमता की जांच नियमित रूप से कराएं और उचित देखभाल सुनिश्चित करें।