
नई दिल्ली:यमन में फांसी की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। याचिका में केंद्र सरकार से आग्रह किया गया है कि वह राजनयिक प्रयासों के जरिए उनकी जान बचाए। याचिकाकर्ता ने यमन के शरिया कानून के तहत ‘ब्लड मनी’ के विकल्प पर विचार करने की अपील की है।
38 वर्षीय निमिषा प्रिया को 2017 में यमन के नागरिक और उनके व्यवसायिक साझेदार तलाल अब्दो महदी की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। आरोप है कि उन्होंने महदी को बेहोश करने की कोशिश की थी, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद शव को ठिकाने लगाने का भी आरोप लगा।
2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई, जिसे 2023 में हूती प्रशासन की सर्वोच्च न्यायिक परिषद ने बरकरार रखा। उनकी फांसी 16 जुलाई को तय है।
याचिका में कहा गया है कि भारतीय अधिकारियों को यमन के हूती प्रशासन से संपर्क कर ‘ब्लड मनी’ के जरिए समझौता कराने का प्रयास करना चाहिए। निमिषा का परिवार कथित रूप से पीड़ित परिवार को 10 लाख डॉलर (लगभग 8.6 करोड़ रुपये) देने को तैयार है।
निमिषा 2011 में नौकरी के सिलसिले में यमन गई थीं। उनके पति और बेटी 2014 में भारत लौट आए थे, लेकिन वह वहीं रुक गईं। यमन के कानूनों के अनुसार, किसी विदेशी को क्लीनिक चलाने के लिए यमनी नागरिक को साझेदार बनाना होता है, इसी कारण उन्होंने महदी को पार्टनर बनाया था।
भारत का हूती प्रशासन से कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं है, जिससे मामले में हस्तक्षेप और भी जटिल हो गया है। फिलहाल निमिषा राजधानी सना की एक जेल में बंद हैं।