
अयोध्या, 26 अप्रैल 2025:
रामनगरी में राम मंदिर निर्माण के साथ ही परिसर में एक नया आध्यात्मिक केंद्र ‘सप्त मंडपम’ श्रद्धालुओं के लिए तैयार किया गया है। इसके दर्शन गंगा दशहरा (5 जून) से प्रारंभ होंगे। सप्त मंडपम सात विशिष्ट मंडपों की श्रृंखला है, जो न केवल वास्तुशिल्पीय दृष्टि से अद्वितीय हैं, बल्कि धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। प्रत्येक मंडप रामकथा के किसी विशेष पात्र या प्रसंग से जुड़ा है और अपनी विशिष्ट आध्यात्मिकता को प्रकट करता है।
सात मंडपों में स्थापित हैं विभूतियां
सप्त मंडपम में महर्षि वशिष्ठ, महर्षि वाल्मीकि, महर्षि विश्वामित्र, महर्षि अगस्त्य, निषादराज, माता अहिल्या और माता शबरी के मंदिर शामिल हैं। ये सभी पात्र रामायण में भगवान श्रीराम की यात्रा के महत्वपूर्ण पड़ावों से जुड़े हैं और श्रद्धालुओं को उन प्रसंगों का प्रत्यक्ष अनुभव कराएंगे।
कांस्य शिलालेख से मिल सकेगी जानकारी
मंदिर ट्रस्ट की ओर से सप्त मंडपम के हर हिस्से में कांस्य के शिलालेख लगाए जा रहे हैं, जिनमें इनके इतिहास, दर्शन और परंपरा की जानकारी दी जाएगी। इससे श्रद्धालुओं को न केवल दर्शन का सौभाग्य मिलेगा, बल्कि वे इन चरित्रों की गहराई से अनुभूति भी कर सकेंगे।
प्राचीन वास्तुकला का अद्भुत संगम
राम मंदिर ट्रस्ट के ट्रस्टी डॉ. अनिल मिश्रा के मुताबिक सप्त मंडपम की रचना में भारत की प्राचीन मंदिर वास्तुकला का अद्वितीय समावेश किया गया है। श्रद्धालु जैसे ही इन मंडपों में प्रवेश करेंगे, उन्हें ऐसा अनुभव होगा मानो वे किसी पवित्र तीर्थ यात्रा पर निकल पड़े हों।