
नई दिल्ली, 1 मई 2025
बाबा रामदेव के शरबत जिहाद में दिल्ली उच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि योग चिकित्सक रामदेव “किसी के नियंत्रण में नहीं हैं” और अपनी ही दुनिया में रहते हैं। इससे पहले, हमदर्द के रूह अफजा के खिलाफ उनकी विवादास्पद “शरबत जिहाद” टिप्पणी को लेकर न्यायालय ने उन्हें प्रथम दृष्टया न्यायालय की अवमानना का दोषी पाया था। अदालत ने इससे पहले उन्हें भविष्य में हमदर्द के उत्पादों पर कोई बयान जारी नहीं करने या वीडियो साझा नहीं करने का आदेश दिया था।
न्यायमूर्ति अमित बंसल ने गुरुवार को बताया कि अदालत के 22 अप्रैल के निर्देशों के बावजूद रामदेव ने आपत्तिजनक बयान देते हुए एक वीडियो प्रकाशित किया है। उन्होंने कहा, “पिछले आदेश के मद्देनजर, उनका हलफनामा और यह वीडियो प्रथम दृष्टया अवमानना के दायरे में आता है। मैं अब अवमानना नोटिस जारी करूंगा। हम उन्हें यहां बुला रहे हैं।” जज ने टिप्पणी की, “उनका (रामदेव) किसी पर नियंत्रण नहीं है। वह अपनी ही दुनिया में रहते हैं।”
रामदेव के वकील ने अदालत से आग्रह किया कि मामले की सुनवाई कुछ समय बाद की जाए, क्योंकि बहस करने वाले वकील उपलब्ध नहीं हैं। इसलिए अदालत ने सुनवाई कुछ समय के लिए स्थगित कर दी। हमदर्द नेशनल फाउंडेशन इंडिया ने विवादास्पद टिप्पणी को लेकर रामदेव और उनकी पतंजलि फूड्स लिमिटेड के खिलाफ याचिका दायर की।
अदालत ने पिछली बार कहा था कि हमदर्द के रूह अफजा पर रामदेव की “शरबत जिहाद” संबंधी टिप्पणी ने उसकी अंतरात्मा को झकझोर दिया है और यह अनुचित है, जिसके बाद योग गुरु ने आश्वासन दिया था कि वह संबंधित वीडियो और सोशल मीडिया पोस्ट तुरंत हटा देंगे।
हमदर्द के वकील ने दावा किया कि पतंजलि के “गुलाब शरबत” का प्रचार करते हुए रामदेव ने आरोप लगाया कि हमदर्द के रूह अफज़ा से अर्जित धन का उपयोग मदरसों और मस्जिदों के निर्माण के लिए किया गया था।






