
नयी दिल्ली,9 फरवरी 2025:
फिल्म 1980 के दशक की पृष्ठभूमि पर आधारित है, जहाँ रवि कुमार (हिमेश रेशमिया) एक बेधड़क और नियमों को तोड़ने वाले पुलिस अधिकारी के रूप में दिखाए गए हैं। उन्हें एक गुप्त मिशन पर ओमान भेजा जाता है, जहाँ उन्हें एक कैमरा रील बरामद करनी होती है जिसमें भारतीय गुप्त एजेंटों की सूची और मिसाइलों के स्थानों की जानकारी है। इस रील को पाकिस्तानी एजेंट सैयद बशीर (मनीष वाधवा) और अंतरराष्ट्रीय गुंडे कार्लोस (प्रभु देवा) भी हासिल करना चाहते हैं। कहानी में रोमांच, एक्शन, और “लॉजिक इज ऑप्शनल” का दावा करते हुए अराजकता भरी घटनाओं का सिलसिला है।
पॉजिटिव पहलू
- डायलॉग्स और स्वैग: फिल्म का सबसे बड़ा हाईलाइट बंटी राठौर के लिखे झन्नाटेदार डायलॉग हैं, जैसे “जो रवि कुमार से उलझता है, उसके फोटो पर हार चढ़ जाता है”। ये डायलॉग दर्शकों को तालियाँ बजाने पर मजबूर कर देते हैं।
- हिमेश रेशमिया का प्रदर्शन: हिमेश ने अपने चरित्र के स्वैग, स्टाइल और एक्शन सीन्स में जबरदस्त उपस्थिति दिखाई है। उनकी एंट्री और स्क्रीन प्रेजेंस फिल्म को गति प्रदान करती है।
- प्रभु देवा का विलेन रोल: प्रभु देवा ने अपने डांस-फाइट सीक्वेंस और ओवर-द-टॉप अभिनय से विलेन के किरदार को मनोरंजक बनाया है।
- संगीत और नॉस्टेल्जिया: “दिल के ताज महल में” और “हुक्का बार” जैसे गाने 80s-90s के दौर की याद दिलाते हैं। हिमेश के संगीत ने फिल्म को जानदार बनाए रखा है।
नकारात्मक पहलू
- कमजोर पटकथा और लॉजिक की कमी: फिल्म की कहानी में अराजकता और असंगत घटनाएँ हैं। कुछ दृश्य, जैसे हिमेश का गहने चुराने का प्रयास, “लॉजिक इज ऑप्शनल” के बावजूद भी अविश्वसनीय लगते हैं।
- सहायक कलाकारों का कम उपयोग: संजय मिश्रा, जॉनी लीवर, और कीर्ति कुल्हारी जैसे प्रतिभाशाली कलाकारों को पर्याप्त स्क्रीन स्पेस नहीं मिला, जिससे उनकी प्रतिभा बर्बाद हुई।
- अत्यधिक गाने और धीमी गति: दूसरे हाफ में गानों की भरमार और लंबे डांस सीक्वेंस ने कहानी के प्रवाह को बाधित किया है।
- अभिनय की सीमाएँ: हिमेश रेशमिया की एक्सप्रेशन लिमिटेड हैं, और सिमोना जैसे कलाकारों का अभिनय निराशाजनक रहा।
बॉक्स ऑफिस और दर्शक प्रतिक्रिया
फिल्म ने पहले दिन ₹2.75 करोड़ और दूसरे दिन ₹2 करोड़ का कलेक्शन किया, जो समकालीन रोमांटिक कॉमेडी “लवयापा” से बेहतर है। हालाँकि, आलोचकों के बीच रेटिंग मिश्रित रही।
निष्कर्ष: देखें या नहीं?
यदि आप 80s के मसाला सिनेमा, ओवर-द-टॉप एक्शन, और स्वैगी डायलॉग्स का आनंद लेते हैं, तो “बैडएस रविकुमार” आपके लिए एक पैसा वसूल अनुभव हो सकता है। लेकिन अगर आप गहन कहानी और सुसंगत प्लॉट चाहते हैं, तो यह फिल्म निराश कर सकती है।
रेटिंग: ★★★ (3/5)
सिफारिश: मसाला सिनेमा के शौकीनों के लिए एक बार देखने लायक, पर दिमाग घर पर छोड़कर जाएँ!






