
पटना,18 अप्रैल 2025
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को देखते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलित और महिला मतदाताओं को साधने के लिए “डी-एम फॉर्मूला” अपनाया है। जेडीयू इस रणनीति को “भीम महाकुंभ” और “महिला संवाद” जैसे अभियानों के जरिए जमीन पर उतार रही है। यह कदम विपक्ष के बढ़ते प्रभाव और बीजेपी नेताओं के बयानों से उपजी चुनौती के बीच सत्ता में बने रहने की कोशिश का हिस्सा है। पिछले दो दशकों से बिहार की सियासत के केंद्र में रहे नीतीश कुमार के लिए यह चुनाव बेहद अहम माना जा रहा है। आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस और प्रशांत किशोर की जनसुराज पार्टी ने उनके खिलाफ व्यापक सियासी घेरा बना लिया है। ऐसे में नीतीश ने लगातार पांचवीं बार जीत के लिए दलित और महिला वोटों को केंद्र में रखते हुए अपनी रणनीति तैयार की है। जातीय समीकरणों के इर्द-गिर्द घूम रही बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार दलित समाज को लुभाने के लिए “भीम संसद”, “भीम संवाद” और अब “भीम महाकुंभ” की योजना पर काम कर रहे हैं। वहीं महिला मतदाताओं को साधने के लिए पूरे राज्य में “महिला संवाद” कार्यक्रम शुरू किया जा रहा है।
नीतीश कुमार शुक्रवार को पटना से इस अभियान की शुरुआत करेंगे, जिसमें 50 प्रचार वाहन पूरे राज्य में भेजे जाएंगे। अगले दो महीनों तक चलने वाले इस अभियान के तहत बिहार की 70 हजार जगहों पर महिला संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इस अभियान में राज्य की सवा लाख से ज्यादा जीविका दीदियां भी शामिल होंगी। सरकार इन कार्यक्रमों के जरिए महिलाओं को सरकारी योजनाओं की जानकारी देगी, जिनमें महिला आरक्षण, शराबबंदी, बाल विवाह, दहेज उन्मूलन, जीविका कार्यक्रम, मुख्यमंत्री कन्या उत्थान योजना और छात्रा पोशाक योजना शामिल हैं। जेडीयू ने इस अभियान के जरिए करीब 2 करोड़ महिलाओं तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है। यह कार्यक्रम तेजस्वी यादव की ‘माई बहिन मान योजना’ के खिलाफ एक जवाबी रणनीति के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार में करीब 18 फीसदी दलित मतदाता हैं, जिनकी राजनीतिक ताकत को देखते हुए नीतीश कुमार उन्हें साधने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जेडीयू ने पिछले साल नवंबर-दिसंबर में भीम संसद शुरू की थी और इस साल 13 अप्रैल को नीतीश ने भीम संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दलित समाज को सरकार की योजनाओं से अवगत कराया। 14 अप्रैल को बाबा साहेब आंबेडकर की जयंती के मौके पर नीतीश ने “आंबेडकर समग्र योजना” का आगाज किया। जेडीयू अब “भीम महाकुंभ” के जरिए दलित समुदाय को यह दिखाना चाहती है कि नीतीश सरकार ने उनके लिए क्या किया है और सत्ता में दोबारा आने पर क्या करेगी।
नीतीश कुमार ने 2005, 2010, 2015 और 2020 में दलित और महिला वोट बैंक के सहारे सत्ता हासिल की थी, लेकिन 2020 में जेडीयू की स्थिति कमजोर हुई और बीजेपी के सहयोग से सरकार बनी। ऐसे में 2025 में नीतीश कोई सियासी जोखिम नहीं लेना चाहते। कांग्रेस ने दलित समाज को जोड़ने के लिए राजेश कुमार को प्रदेश अध्यक्ष और सुशील पासी को सह प्रभारी बनाया है, जबकि राहुल गांधी सामाजिक न्याय के एजेंडे के जरिए दलित वोटरों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। आरजेडी भी दलितों को रिझाने में जुटी है। महिला मतदाताओं को लेकर तेजस्वी यादव भी सक्रिय हैं और ‘माई बहिन मान योजना’ की घोषणा कर चुके हैं। इन सबके बीच नीतीश कुमार ने फिर से दलित और महिला वोटरों पर फोकस कर चुनावी जमीन तैयार करनी शुरू कर दी है।






