मुंबई, 21 अगस्त 2025
बॉम्बे उच्च न्यायालय ने जैन समुदाय द्वारा दायर एक याचिका को खारिज कर दिया है, जिसमें 10 दिवसीय परुषण पर्व के दौरान मुंबई में बूचड़खानों को बंद करने का आदेश देने की मांग की गई थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश आलोक अराधे और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की पीठ ने सवाल उठाया कि जैन समुदाय को उनकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के बावजूद 10 दिनों के लिए बूचड़खाने बंद करने की मांग करने का अधिकार कहां से मिला।
यह याचिका बृहन्मुंबई नगर निगम द्वारा पर्यूषण पर्व के दौरान केवल दो दिनों के लिए बूचड़खाने बंद करने के आदेश को चुनौती देते हुए दायर की गई थी। नगर निगम प्रमुख ने इस आदेश का कारण यह बताया कि शहर में जैन समुदाय की आबादी कम है। पर्युषण पर्व दिगंबर और श्वेतांबर जैन समुदायों द्वारा क्रमशः 20 से 27 अगस्त और 21 से 28 अगस्त तक मनाया जाता है।
अदालत ने इस मामले पर कोई भी आदेश देने से इनकार करते हुए पूछा, “हम आपकी धार्मिक भावनाओं का सम्मान करते हैं। लेकिन कृपया हमें बताएँ कि आपको 10 दिनों के लिए बूचड़खाने बंद करने का अधिकार कहाँ से मिला?”