लखनऊ, 23 दिसंबर 2025:
यूपी सरकार ने राज्य के पूर्वांचल क्षेत्र के समग्र और सुनियोजित विकास की दिशा में एक बड़ा कदम उठाते हुए काशी-विंध्य क्षेत्र (केवीआर) के गठन का फैसला किया है। राज्य राजधानी क्षेत्र (एससीआर) की तर्ज पर बनाए जा रहे इस नए क्षेत्रीय ढांचे को कैबिनेट की मंजूरी मिल गई है। इसके तहत वाराणसी और विंध्याचल मंडल के सात प्रमुख जिलों वाराणसी, जौनपुर, चंदौली, गाजीपुर, मिर्जापुर, भदोही और सोनभद्र को एकीकृत आर्थिक गतिविधियों के जोन के रूप में विकसित किया जाएगा।
सरकार के अनुसार केवीआर के गठन से इन जिलों के विकास को नई गति मिलेगी और बुनियादी ढांचे, निवेश, उद्योग, पर्यटन और रोजगार के अवसरों में उल्लेखनीय विस्तार होगा। प्रस्तावित काशी-विंध्य क्षेत्र की आबादी लगभग दो करोड़ आंकी गई है। खास बात यह है कि इसके विकास से सरकार के खजाने पर कोई अतिरिक्त वित्तीय भार नहीं पड़ेगा। संसाधनों का बेहतर उपयोग कर क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था को मजबूत किया जाएगा।
काशी-विंध्य क्षेत्र विकास प्राधिकरण का कुल दायरा 23,815 वर्ग किलोमीटर होगा। जिलावार क्षेत्रफल की बात करें तो वाराणसी का क्षेत्रफल 1,535 वर्ग किलोमीटर, जौनपुर 4,038, चंदौली 2,541, गाजीपुर 3,377, मिर्जापुर 4,521, भदोही 1,015 और सोनभद्र 6,788 वर्ग किलोमीटर है। इन सात जिलों में सबसे अधिक क्षेत्रफल सोनभद्र का है। सबसे कम क्षेत्रफल भदोही का बताया गया है।
प्रस्ताव के तहत केवीआर के लिए एक सशक्त कार्यकारी समिति (एग्जीक्यूटिव बॉडी) का गठन किया जाएगा। इसके अध्यक्ष स्वयं मुख्यमंत्री होंगे। प्रमुख सचिव आवास को मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) की जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। वाराणसी के मंडलायुक्त सदस्य सचिव होंगे और विंध्याचल मंडल के आयुक्त सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे। इसके अलावा शहरी नियोजन, अर्थव्यवस्था, परिवहन, पर्यावरण और बुनियादी ढांचे से जुड़े विशेषज्ञों को भी सदस्य के तौर पर नामित किया जाएगा।
केवीआर के माध्यम से सभी सात जिलों के लिए एक साझा और सुनियोजित मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। इस मास्टर प्लान को मंजूरी भी केवीआर स्तर से ही दी जाएगी जिसके बाद शासन से अलग से स्वीकृति लेने की आवश्यकता नहीं होगी। नीति आयोग पहले ही काशी और विंध्य क्षेत्र के सतत विकास को लेकर अपने सुझाव सरकार को सौंप चुका है, जिन्हें इस योजना में शामिल किया गया है।
सरकार ने संकेत दिए हैं कि एक-दो दिन के भीतर काशी-विंध्य क्षेत्र के गठन की अधिसूचना जारी कर दी जाएगी। माना जा रहा है कि यह पहल पूर्वांचल को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगी।






