नई दिल्ली, 8 अगस्त 2025:
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ ने न सिर्फ वैश्विक आर्थिक समीकरणों में हलचल मचा दी है, बल्कि चीन की तीखी प्रतिक्रिया भी सामने आई है। भारत के पक्ष में खड़ा होकर चीन ने अमेरिका की आलोचना करते हुए कहा कि टैरिफ जैसे उपाय वैश्विक व्यापार के नियमों का उल्लंघन हैं और यह “आर्थिक दबाव का हथियार” बन चुके हैं।
भारत में चीन के राजदूत जू फेइहोंग ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “धमकाने वाले को एक इंच भी दो, वह एक मील ले लेगा।” इस संदेश के साथ उन्होंने चीनी विदेश मंत्री वांग यी और ब्राज़ील के राष्ट्रपति लूला के सलाहकार सेल्सो अमोरिम के बीच हुई बातचीत को भी साझा किया, जिसमें टैरिफ को ‘संयुक्त राष्ट्र चार्टर और WTO नियमों के खिलाफ’ बताया गया।
दरअसल, ट्रंप ने भारत पर कुल मिलाकर 50% टैरिफ लगाने की घोषणा करते हुए कहा कि इससे “अरबों डॉलर अमेरिका आएंगे”, और चेताया कि “अभी और बहुत कुछ बाकी है।” इसके साथ ही उन्होंने भारत पर सेकेंड्री सैंक्शन्स का संकेत भी दिया, जिससे व्यापार जगत में हलचल मच गई।
भारत को जहां इससे निर्यात और रोजगार पर असर पड़ने की आशंका है, वहीं विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप की यह नीति अमेरिका के लिए भी घातक हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस टैरिफ से अमेरिका की GDP को लगभग 11.6 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है और प्रत्येक अमेरिकी को सालाना ₹2 लाख तक की क्षति झेलनी पड़ सकती है।
चीन का यह समर्थन ऐसे समय आया है जब एशिया में अमेरिका के सबसे करीबी साझेदार भारत से उसके संबंधों में तनाव आ सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि भारत से दूरी अमेरिका की इंडो-पैसिफिक रणनीति को कमजोर कर सकती है और QUAD जैसे गठबंधनों की प्रभावशीलता पर भी असर डाल सकती है।
इस बीच भारत और अमेरिका के बीच तनाव को कम करने के लिए दिल्ली और वाशिंगटन दोनों में उच्च स्तरीय बैठकें शुरू हो चुकी हैं।