लखनऊ, 17 दिसंबर 2025:
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में खाद की उपलब्धता और वितरण व्यवस्था को लेकर सख्त रुख अपनाया है। मुख्यमंत्री ने अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक में स्पष्ट चेतावनी दी कि मिलावटी, नकली खाद बेचने वालों और खाद की कालाबाजारी में लिप्त किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। ऐसे लोगों के विरुद्ध राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (NSA) के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
सीएम ने कहा कि किसानों को खाद के लिए किसी भी प्रकार की परेशानी होना सरकार के लिए अस्वीकार्य है। यदि खाद वितरण में किसी भी स्तर पर लापरवाही या गड़बड़ी सामने आती है तो जिम्मेदारी तय की जाएगी। दोषी चाहे जिस पद पर हो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी। उन्होंने सहकारिता एवं कृषि मंत्री को निर्देश दिए कि वे प्रतिदिन खाद की उपलब्धता और वितरण की स्थिति की समीक्षा करें।

मुख्यमंत्री कार्यालय से सभी जनपदों में सीधी निगरानी रखने के निर्देश देते हुए सीएम योगी ने कहा कि खाद वितरण में किसी भी प्रकार की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने सभी डीएम, एडीएम और एसडीएम को निर्देश दिया कि वे स्वयं खाद की दुकानों और सहकारी समितियों का आकस्मिक निरीक्षण करें। ओवररेटिंग किसी भी स्थिति में न हो और समितियां निर्धारित समय के अनुसार अनिवार्य रूप से खुली रहें। किसानों को डीएपी, यूरिया और पोटाश तय सरकारी दरों पर ही उपलब्ध कराया जाए।
मुख्यमंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि फील्ड में तैनात अधिकारियों की गतिविधियों पर लगातार नजर रखी जाएगी। यदि कहीं मिलीभगत या जानबूझकर की गई लापरवाही सामने आती है तो खुली विजिलेंस जांच कराई जाएगी। उनका दो टूक संदेश था कि खाद संकट पैदा करने या कृत्रिम अभाव दिखाने की कोशिश करने वालों के लिए प्रदेश में कोई जगह नहीं है।
बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि 16 दिसंबर तक प्रदेश में 9.57 लाख मीट्रिक टन यूरिया, 3.77 लाख मीट्रिक टन डीएपी और 3.67 लाख मीट्रिक टन एनपीके उर्वरक उपलब्ध है। सहकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में पर्याप्त स्टॉक मौजूद है। रबी फसलों की बोआई लगभग पूरी हो चुकी है और गेहूं की फसल में टॉप ड्रेसिंग के लिए यूरिया का वितरण तेजी से किया जा रहा है।
वर्तमान में प्रतिदिन औसतन 54,249 मीट्रिक टन यूरिया किसानों तक पहुंचाया जा रहा है, जो पिछले वर्ष की तुलना में अधिक है। सीएम योगी ने दोहराया कि सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता यही है कि किसान को खाद के लिए भटकना न पड़े और उसे समय पर, उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध हो।






