प्रख्यात गांधीवादी कृष्ण भारती का 92 साल की उम्र में निधन, प्रधानमंत्री मोदी ने जताया दुख

ankit vishwakarma
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नई दिल्ली, 24 मार्च 2025

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को गांधीवादी और प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय पासला कृष्ण मूर्ति की पुत्री कृष्णा भारती के निधन पर दुख व्यक्त किया। कृष्णा भारती गांधीवादी सिद्धांतों के प्रति पूरी तरह समर्पित थीं और उन्होंने महात्मा गांधी के आदर्शों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कहा, “पासला कृष्ण भारती जी के निधन से दुख हुआ। वह गांधीवादी मूल्यों के प्रति समर्पित थीं और उन्होंने बापू के आदर्शों के माध्यम से राष्ट्र निर्माण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने अपने माता-पिता की विरासत को शानदार ढंग से आगे बढ़ाया, जो हमारे स्वतंत्रता संग्राम के दौरान सक्रिय थे। मुझे भीमावरम में आयोजित कार्यक्रम के दौरान उनसे मुलाकात याद है। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।

ओम शांति: पीएम @narendramodi।”

कृष्णा भारती का रविवार को हैदराबाद में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। संक्षिप्त बीमारी के बाद उन्होंने स्नेहपुरी कॉलोनी स्थित अपने आवास पर अंतिम सांस ली।

आंध्र प्रदेश के पश्चिमी गोदावरी जिले की रहने वाली, वह स्वतंत्रता सेनानी पासला कृष्ण मूर्ति और अंजा लक्ष्मी की दूसरी बेटी थीं। कृष्णा भारती गांधीवादी मूल्यों में दृढ़ विश्वास रखती थीं और उन्होंने जीवन भर उन्हीं मूल्यों को बनाए रखा। उन्होंने दलितों के उत्थान के लिए भी प्रयास किया। उन्होंने शैक्षणिक संस्थानों और गोशालाओं को दान दिया था। कृष्णा भारती अविवाहित थे और उनके चार भाई और तीन बहनें हैं।

आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने कृष्णा भारती के निधन पर शोक व्यक्त किया है। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के शैक्षणिक उत्थान के लिए उनके योगदान को याद किया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आंध्र प्रदेश के भीमावरम में 2022 में स्वतंत्रता सेनानी अल्लूरी सीताराम राजू की प्रतिमा के अनावरण कार्यक्रम में कृष्णा भारती के पैर छुए। प्रधानमंत्री ने पासला कृष्ण मूर्ति के अन्य पारिवारिक सदस्यों से भी मुलाकात की।

1900 में पश्चिमी गोदावरी जिले के ताडेपल्लीगुडेम तालुका के पश्चिम विप्पारु गांव में जन्मे पासला कृष्ण मूर्ति 1921 में अपनी पत्नी के साथ कांग्रेस पार्टी में शामिल हुए। कृष्णमूर्ति और उनकी पत्नी ने 1932 में भीमावरम उप-कलेक्टर के कार्यालय पर भारतीय ध्वज फहराया था, जिसके लिए उन्हें जेल भी हुई थी। अंजा लक्ष्मी ने जेल में ही कृष्णा भारती को जन्म दिया था। कृष्णा भारती ने अपने जीवन के पहले 10 महीने जेल में बिताए थे।

कृष्णमूर्ति दंपत्ति ने अपनी पूरी संपत्ति स्वतंत्रता आंदोलन के लिए दान कर दी और नमक सत्याग्रह (दांडी मार्च) में हिस्सा लिया। जब महात्मा गांधी पश्चिमी गोदावरी जिले के दौरे पर आए, तो कृष्णमूर्ति उनके निजी सचिव के रूप में काम कर रहे थे। इस दम्पति ने विनोबा भावे के भूदान आंदोलन में भी भाग लिया था और अपने गांवों में दलितों के लिए मकान बनवाये थे। कृष्णमूर्ति का 1978 में निधन हो गया।

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