
नई दिल्ली, 1 जुलाई 2025
भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (EV) की मांग तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में पेट्रोल-डीजल वाहन रखने वाले लोग अब दोराहे पर खड़े हैं—पुरानी कार को इलेक्ट्रिक में बदलें या एक नई इलेक्ट्रिक कार खरीदें? यह निर्णय आपकी कार की स्थिति, बजट और जरूरतों पर निर्भर करता है।
अगर आपके पास अच्छी हालत में पुरानी पेट्रोल या डीजल कार है और आप उसे स्क्रैप नहीं करना चाहते, तो इलेक्ट्रिक कन्वर्जन एक विकल्प बन सकता है। इसके लिए भारत में कई कंपनियां EV कन्वर्जन किट्स ऑफर करती हैं। हालांकि, इससे पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि आपकी कार रेट्रोफिटिंग के लिए योग्य है।
कन्वर्जन के लिए पहले वाहन को RTO से डी-रजिस्टर कराना होता है। इसके बाद केंद्र सरकार द्वारा प्रमाणित इंस्टॉलर से संपर्क करके EV किट लगवानी होती है। इसमें मोटर, बैटरी और कंट्रोलर इंस्टॉल किए जाते हैं। फिर कार को RTO में इलेक्ट्रिक व्हीकल के रूप में दोबारा पंजीकृत कराया जाता है।
इस प्रक्रिया में कुल खर्च ₹3 लाख से ₹10 लाख तक हो सकता है। हालांकि यह नई EV की कीमत से कम है, लेकिन इसमें वारंटी और सेफ्टी की गारंटी नहीं होती। कई बार किट्स बिना किसी प्रमाणन के होती हैं और RTO अप्रूवल की प्रक्रिया जटिल हो सकती है।
वहीं दूसरी ओर, नई EV खरीदने से आपको बेहतर रेंज (300-500 किमी), एडवांस टेक्नोलॉजी, कंपनी की वारंटी और सरकारी सब्सिडी जैसे लाभ मिलते हैं। हालांकि शुरुआती खर्च ₹8 लाख से ₹25 लाख तक हो सकता है, लेकिन लॉन्ग टर्म में भरोसेमंद विकल्प साबित हो सकता है।
इसलिए अगर आपकी प्राथमिकता बजट है और पुरानी कार अच्छी हालत में है, तो EV कन्वर्जन फायदेमंद हो सकता है। लेकिन अगर आप सुरक्षा, नई तकनीक और परेशानी-मुक्त अनुभव चाहते हैं, तो नई EV में निवेश करना बेहतर रहेगा।