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कोरोना का बदला रूप: क्यों अब नहीं जा रही स्वाद और गंध की शक्ति?

नई दिल्ली, 28 मई 2025

कोविड-19 का एक समय बेहद डरावना लक्षण – स्वाद और गंध का चले जाना – अब लगभग पूरी तरह गायब हो गया है। महामारी की शुरुआत में यह लक्षण इतना आम हो गया था कि कोरोना की पहचान का अहम संकेत बन गया था। लेकिन पिछले दो वर्षों में वैज्ञानिकों और डॉक्टरों ने देखा है कि अब संक्रमित मरीजों में यह लक्षण न के बराबर रह गया है। महामारी विशेषज्ञों का कहना है कि इसके पीछे वायरस का बदलता स्वरूप और टीकाकरण दोनों जिम्मेदार हैं।

महामारी विशेषज्ञ डॉ. जुगल किशोर के अनुसार, शुरुआती वेरिएंट जैसे वुहान स्ट्रेन और डेल्टा वायरस नाक और गले की कोशिकाओं पर सीधा हमला करते थे। ये वायरस नाक में मौजूद स्मेल रिसेप्टर्स को नुकसान पहुंचाते थे जिससे गंध पहचानने की क्षमता खत्म हो जाती थी। वहीं स्वाद पर भी असर पड़ता था क्योंकि वायरस नर्वस सिस्टम को प्रभावित करता था।

लेकिन ओमिक्रॉन वेरिएंट के आने के बाद वायरस के व्यवहार में बड़ा बदलाव देखा गया। डॉ. किशोर बताते हैं कि ओमिक्रॉन अब मुख्यतः ऊपरी श्वसन तंत्र (upper respiratory tract) को प्रभावित करता है, जिससे नाक की नसों पर पहले जैसा असर नहीं पड़ता। इसी वजह से अब स्वाद और गंध का जाना एक सामान्य लक्षण नहीं रह गया।

इसके साथ ही, दुनिया भर में हुए व्यापक टीकाकरण का भी बड़ा असर पड़ा है। वैक्सीन लेने वालों में इम्युनिटी मजबूत हो गई है जिससे वायरस शरीर में ज्यादा प्रभाव नहीं छोड़ पा रहा और गंभीर लक्षणों की आशंका कम हो गई है।

हाल की अंतरराष्ट्रीय रिसर्च से यह भी पता चला है कि अब 90% से अधिक मरीजों को स्वाद और गंध की समस्या नहीं होती। हालांकि विशेषज्ञ चेताते हैं कि वायरस पूरी तरह बेअसर नहीं हुआ है – बुखार, सिरदर्द, खांसी और थकावट जैसे लक्षण अब भी मौजूद हैं। इसलिए सतर्कता जरूरी है: लक्षण दिखें तो टेस्ट कराएं, बूस्टर डोज लें और सार्वजनिक स्थानों पर मास्क का प्रयोग करें।

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