
देहरादून, 15 जुलाई 2025:
आजादी के इतने वर्ष बाद भी उत्तराखंड के कई गांव बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। नैनीताल और उत्तरकाशी जिलों के ग्रामीणों को आज भी नदियां पार करने के लिए अस्थायी और खतरनाक रास्तों का सहारा लेना पड़ता है, जिससे उनकी जान हर दिन जोखिम में पड़ रही है।
रामपुर व पाटकोट गांव के 800 लोग लकड़ी के अस्थायी पुल पर निर्भर
नैनीताल जिले के रामनगर से लगभग 27 किलोमीटर दूर पाटकोट और उससे आगे रामपुर गांव के ग्रामीण कालिगाड़ नदी पर बने अस्थायी लकड़ी के पुल से ही रोज़मर्रा की आवाजाही करते हैं। बरसात के दौरान यह पुल फिसलन भरा और बेहद खतरनाक हो जाता है। रामपुर गांव के 50 से 55 स्कूली बच्चे इसी पुल से होकर पाटकोट के राजकीय इंटर कॉलेज तक पहुंचते हैं। बारिश के दिनों में तेज बहाव और फिसलन के कारण कई बार बच्चों को स्कूल जाना छोड़ना पड़ता है। ग्रामीणों को राशन, दवाइयाँ और ज़रूरी सामान भी सिर पर उठाकर इसी रास्ते से लाना पड़ता है।
स्थानीय लोगों ने बताया कि अब तक दो बार बाइक सवार व्यक्ति इस नदी में बह चुके हैं। इस स्थिति की गंभीरता को देखते हुए रामनगर के एसडीएम प्रमोद कुमार ने पुल निर्माण की दिशा में कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि पक्का पुल बनने तक अस्थायी पुल की मरम्मत लोक निर्माण विभाग (PWD) के माध्यम से कराई जाएगी। हालांकि, पीडब्ल्यूडी के अधिशासी अभियंता संजय चौहान ने बताया कि यह इलाका वन विभाग के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिससे विभाग सीधे कार्य नहीं कर सकता। भूमि हस्तांतरण से जुड़ा प्रस्ताव उच्च अधिकारियों को भेजा गया है।
उत्तरकाशी के अगोड़ा गांव में 12 साल से ट्रॉली के सहारे नदी पार करते ग्रामीण
उत्तरकाशी जिले के अगोड़ा गांव में 2012 की आपदा के बाद से टूटे हुए पुल की जगह ग्रामीणों को आज भी घट्टूगाड नदी के ऊपर जर्जर ट्रॉली से सफर करना पड़ता है। स्थानीय निवासी संजय पंवार ने बताया कि ट्रॉली की रस्सी खींचने और उसमें चढ़ने-उतरने के दौरान नदी में गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है।
लोक निर्माण विभाग उत्तरकाशी के अधिशासी अभियंता अमनदीप राणा के मुताबिक घट्टूगाड में 36 मीटर स्पैन का पुल बनाने के लिए डिजाइन और डीपीआर (विस्तृत परियोजना रिपोर्ट) तैयार कर ली गई है। विभाग जल्द ही निर्माण कार्य शुरू करने की प्रक्रिया में आगे बढ़ेगा।






