
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 21 जून 2025:
काशी की ऐतिहासिक गलियों में बदलाव की शुरुआत होने जा रही है। दालमंडी गली के चौड़ीकरण को लेकर प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। परियोजना के लिए शनिवार को लोक निर्माण विभाग, नगर निगम और राजस्व विभाग की संयुक्त टीम ने चिह्नित भवनों का दोबारा सत्यापन शुरू किया। सड़क चौड़ीकरण की जद में आने वाले मकानों को चिह्नित किया जा रहा है।
यह बदलाव सहज नहीं है, क्योंकि स्थानीय दुकानदारों और मस्जिदों के मुतवल्लियों की ओर से विरोध के स्वर भी तेज हो रहे हैं। विरोध के बावजूद प्रशासन परियोजना को आगे बढ़ाने के लिए दृढ़ संकल्पित नजर आ रहा है।
सीएम योगी ने अपने हालिया वाराणसी दौरे के दौरान दालमंडी सड़क चौड़ीकरण कार्य को जल्द शुरू करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद पीडब्ल्यूडी, नगर निगम, जलकल विभाग और पुलिस प्रशासन की संयुक्त टीम ने मोर्चा संभालते हुए दालमंडी से लंगड़ा हाफिज मस्जिद तक सड़क की नाप-जोख पूरी कर ली है। प्रशासन ने स्थानीय लोगों को चेतावनी दी है कि यदि वे नापी गई सीमा में आने वाले स्थान को स्वेच्छा से खाली नहीं करते, तो अतिक्रमण हटाने की स्थिति में उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। इससे क्षेत्र में चर्चाओं का माहौल गर्म है।
बनाई जाएगी 17.5 मीटर चौड़ी मॉडल सड़क

दालमंडी चौड़ीकरण काशी के लिए एक महत्त्वाकांक्षी परियोजना है। वित्तीय वर्ष 2024-25 के अंतिम दिन राज्य सरकार ने इस योजना के लिए 200 करोड़ रुपये से अधिक का बजट स्वीकृत किया, जिसमें से 2 करोड़ रुपये की पहली किस्त जारी की जा चुकी है। योजना के तहत 17.5 मीटर चौड़ी मॉडल सड़क बनाई जाएगी, जो न केवल ट्रैफिक की समस्या को कम करेगी, बल्कि काशी की सांस्कृतिक पहचान को भी नया आयाम देगी।
पीडब्ल्यूडी ने दालमंडी गली में स्थित 189 भवनों की चौड़ाई और गहराई की माप पूरी कर ली है। यह प्रक्रिया मुआवजे के निर्धारण के लिए की गई है। अधिकारियों के अनुसार, सत्यापन पूर्ण होते ही अगला कदम उठाया जाएगा। हालांकि, कई स्थानीय दुकानदार इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सड़क चौड़ीकरण से उनकी आजीविका खतरे में पड़ जाएगी।
छह मस्जिदें भी होंगी प्रभावित
इस प्रक्रिया में दालमंडी की सड़क पर स्थित छह मस्जिदें लंगड़ा हाफिज मस्जिद, निसारन मस्जिद, रंगीले शाह मस्जिद, अली रजा मस्जिद, संगमरमर मस्जिद और मस्जिद मिर्जा करीमुल्ला बैग भी प्रभावित हो रही हैं। इन मस्जिदों के मुतवल्लियों ने धार्मिक स्थलों के संभावित क्षरण पर आपत्ति जताते हुए परियोजना पर नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि धार्मिक आस्था का सम्मान होना चाहिए और मस्जिदों को नुकसान पहुंचाना उचित नहीं होगा। प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि सभी पक्षों से संवाद के जरिए समाधान निकाला जाएगा और कानून के दायरे में रहते हुए योजना को निष्पादित किया जाएगा।






