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तालिबान की तर्ज पर बांग्लादेश में शासन लागू करने की मांग, रूस की मान्यता के बाद भड़की बहस

mahi rajput
Last updated: July 4, 2025 10:10 am
mahi rajput 2 months ago
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ढाका, 4 जुलाई 2025:
अफगानिस्तान में तालिबान सरकार को रूस द्वारा औपचारिक मान्यता दिए जाने के बाद अब बांग्लादेश में भी तालिबानी मॉडल पर आधारित शासन व्यवस्था की मांग ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। बांग्लादेश के कट्टरपंथी इस्लामी नेता और जमात-ए-चर मोनाई संगठन के प्रमुख मुफ्ती सैयद मोहम्मद फैजुल करीम ने हाल ही में एक इंटरव्यू में यह बयान दिया कि अगर उनकी पार्टी सत्ता में आती है, तो देश में शरिया कानून लागू किया जाएगा।

करीम ने यह भी कहा कि बांग्लादेश में तालिबान की तरह इस्लामी निजाम लागू किया जाएगा, और इसमें सभी धर्मों, विशेषकर हिंदुओं व अन्य अल्पसंख्यकों को भी उनके “इस्लामी अधिकार” दिए जाएंगे। साथ ही उन्होंने ईरान की कुछ विचारधाराओं को भी अपनाने की वकालत की।

इस बयान ने देश की धर्मनिरपेक्ष छवि पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। विपक्षी पार्टी अवामी लीग ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी है और अंतरिम सरकार पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया है। पार्टी ने पूछा, “क्या अंतरिम सरकार की यह चुप्पी महज लापरवाही है या फिर किसी गुप्त सहमति का संकेत?”

अवामी लीग ने सरकार पर आरोप लगाया है कि सत्ता परिवर्तन के बाद देश में धार्मिक अल्पसंख्यकों और महिलाओं पर हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं। पार्टी ने हाल ही में हुए मानवाधिकार उल्लंघनों की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि जून 2025 में देशभर में 63 बलात्कार के मामले सामने आए, जिनमें 17 सामूहिक बलात्कार शामिल थे। इनमें 7 विकलांग महिलाएं, 19 बच्चे और 23 किशोरियां पीड़ित रहीं। इसके अलावा 51 हमले और 39 यौन उत्पीड़न की घटनाएं भी दर्ज की गईं।

रूस के इस कदम और बांग्लादेशी नेता के बयान से साफ है कि दक्षिण एशिया में कट्टरपंथी विचारधाराओं का प्रभाव बढ़ता जा रहा है, जो क्षेत्रीय स्थिरता के लिए खतरे का संकेत माना जा रहा है।

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