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भूकंप: धरती की हलचल को नापने की पूरी समझ रखता है सिस्मोग्राफ और रिक्टर स्केल

लखनऊ, 17 फरवरी 2025:

यूं तो धरती के भीतर अक्सर भूकंप आते रहते हैं इनमें तमाम हमें महसूस तक नहीं होते लेकिन कुछ हलचल इतनी तेज होतीं हैं कि इमारतें गिरने के डर से लोग बाहर आ जाते हैं और कभी तो इतना मौका भी नहीं मिलता। सोमवार सुबह दिल्ली में ऐसे ही जमीन थरथराई तो लोग बाहर आ गए। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर स्केल पर चार बताई गई। दरअसल धरती के भीतर होने वाली हलचल को नापने का पूरा एक सिस्टम है, जो 90 साल से रिक्टर स्केल के जरिये हमें इसकी तीव्रता बताता रहता है।

पहले बना सिस्मोग्राफ फिर विकसित हुई रिक्टर स्केल

भूकंप नापने वाले सिस्मोग्राफ का अविष्कार वैसे तो चीन के गणितज्ञ चांग हेंग ने 132 ईसवी में किया लेकिन 1875 में इतालवी भू विज्ञानी फिलिपो सेची ने सिस्मोग्राफ का विकसित उपकरण बनाया। इसके बाद 1935 में भूकंप नापने की गणितीय ईकाई रिक्टर स्केल का विकास अमेरिकी भू-विज्ञानी चार्ल्स एफ रिक्टर ने किया। यहीं से भूकंप को रिक्टर स्केल के पैमाने पर मापा जाने लगा। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 1 से 10 तक पर मापी जाती है।

भूकंप के केंद्र की गहराई से तय होती है धरती की किस्मत

सोमवार को दिल्ली में आये भूकंप के दौरान लोगों ने गड़गड़ाहट की आवाज भी सुनी। रिक्टर स्केल की तीव्रता और गड़गड़ाहट की आवाज के पीछे छिपे विज्ञान की तह में जाएं तो पता चलता है कि
यूएस जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) के अनुसार, भूकंप के दौरान जमीन में कंपन होता है, जिससे एक छोटे समय के लिए भूकंपीय तरंग पैदा होती है जो हवा तक पहुंचती है और ध्वनि तरंग बन जाती है। ये ध्वनि तरंग वायुमंडल में भी एक कंपन पैदा करती है।
भूकंप का केंद्र जितना कम गहराई वाला होगा उतनी ही ज्यादा ऊर्जा सतह तक पहुंचती है। अधिक तीव्रता वाली भूकंपीय तरंगे जमीन से होकर जब गुजरती हैं तो भूकंप के दौरान गड़गड़ाहट की आवाज सुनाई देती है। दिल्ली में आए भूकंप का केंद्र जमीन के भीतर महज पांच किलोमीटर अंदर ही था, जिसके कारण लोगों को तेज आवाज सुनाईं दी।

7 व 8 रिक्टर स्केल पर काठमांडू व गुजरात में आई थी तबाही

अब आते हैं रिक्टर स्केल पर। भूकंप की तीव्रता को मापने का ये पैरामीटर बेहद खास है। यही बताता है कि शांति बनी रहेगी या तबाही फैलेगी। कभी कभी हल्के झटकों के बाद कई बार झटके महसूस होते रहते हैं। वर्ष 2015 में काठमांडू में 7.8 तीव्रता वाले भूकंप ने नौ हजार लोगों की जान लेकर इमारतों को खंडहर में बदल दिया था। इससे पूर्व गुजरात में वर्ष 2001 में 8.4 तीव्रता के भूकंप में 13,800 लोगों ने जान गंवाई थीं।

अंकों में ऐसे दर्ज होती है शांति व तबाही

0 से 1.9 रिक्टर स्केल- हल्का भूकंप

4 से 4.9 रिक्टर स्केल- घरों की खिड़कियां टूट सकती हैं।

6 से 6.9 रिक्टर स्केल- इमारतों की बुनियाद दरकने का खतरा

7 से 7.9 रिक्टर स्केल- इमारतें गिरने का पूरा खतरा

8 से 8.9 रिक्टर स्केल- इमारतों सहित पुल भी गिरना तय

9 व इससे अधिक रिक्टर स्केल- धरती पर हर तरफ विनाश

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