
अमित मिश्र
प्रयागराज, 21 सितंबर 2025 :
यूपी के प्रयागराज जिले में नवरात्र पर्व के लिए ज्यादातर पूजा पांडाल थीम बेस्ड बनाये गए हैं। इनके लिए देवी प्रतिमाओं की साज सज्जा भी उसी थीम से तालमेल रखते हुए की जा रही है। खास बात ये है कि प्रतिमाओं को गंगा की मिट्टी के साथ पर्यावरण अनुकूल निर्माण सामग्री से ईको फ्रेंडली बनाया जा रहा है।

बता दें सोमवार 22 सितंबर से शुरू हो रहे नवरात्र पर्व पर मां दुर्गा घर घर और पूजा पंडालों में विराजेंगी। ऐसे में दुर्गा प्रतिमाओं का निर्माण अब अंतिम चरण में हैं। शहर के अलग अलग इलाकों में तमाम मूर्तिकार भी दिन रात जी-जान से मां की प्रतिमाओं को गढ़ने में जुटे हैं। 3 फीट से लेकर 15 फीट तक की इन प्रतिमाओं को ले जाने के लिए प्रयागराज ही नहीं आसपास के जिलों के लोग भी भारद्वाज आश्रम के पास और कर्नलगंज इलाके में बनने वाली प्रतिमाओं के लिए पहुंच रहे हैं।
इनमें कोई मां को पहनाने के लिए साड़ी लेकर आया है तो कोई आभूषण। शहर के ज्यादातर पूजा पंडाल थीम बेस्ड हैं, लिहाजा मां का श्रृंगार भी उसी के हिसाब से हो रहा है। प्रयागराज में इन दिनों ईको फ्रेंडली प्रतिमाओं का चलन है। मूर्तिकार इन्हें गंगा की मिट्टी से तैयार कर रहे हैं और केवल नेचुरल और वाटर कलर का इस्तेमाल कर रहे है, जिससे पर्यावरण को कोई नुकसान न हो। मां का श्रृंगार भी ऐसे सामान से किया जा रहा है जो पर्यावरण को बिना कोई नुकसान पहुंचाएं विसर्जन के बाद उसमें समाहित हो जायें।
प्रतिमाओं को बनाने के लिए पश्चिम बंगाल से आए सैकड़ों कलाकार इन दिनों शहर में डेरा डाले हुए हैं।
प्रयागराज के भारद्वाज पार्क के पास मूर्तिकार दिन-रात जुटकर इन प्रतिमाओं को सजा रहे हैं। यहां तैयार हो रही प्रतिमाओं की खूबसूरती देखते ही बनती है। इन्हें तैयार कर रहे आकाश भटटाचार्य कहते हैं कि इन मूर्तियों को बारीकी से सजाया- संवारा जा रहा है ताकि जब वे नवरात्रि के दौरान पंडालों में विराजमान हों, तो श्रद्धालु माता की भव्य झलक पा सकें। हमारे सामने हर साल कुछ अलग और पहले से बेहतर बनाने की चुनौती होती है । मकसद इतना है कि पूजा के समय जब लोग इन प्रतिमाओं के दर्शन करें, तो न केवल धार्मिक आस्था प्रबल हो, बल्कि यह संदेश भी जाए कि हमारी आस्था और पर्यावरण साथ-साथ चल सकते हैं।






