लखनऊ, 16 दिसंबर 2025:
यूपी सरकार की महत्वाकांक्षी गो-कल्याण योजना अब केवल गोवंश संरक्षण तक सीमित नहीं है। यह नवाचार, पर्यावरण संरक्षण और महिला सशक्तिकरण का सशक्त उदाहरण बनकर उभर रही है। एटा जनपद की मलावन गोशाला में शुरू की गई पहल ने यह साबित कर दिया है कि गोशालाएं बोझ नहीं बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की मजबूत धुरी बन सकती हैं।
सीएम योगी के नेतृत्व में गोशालाओं को आत्मनिर्भर इकाइयों के रूप में विकसित किया जा रहा है। मलावन गोशाला में ठंड से गोवंश की सुरक्षा के लिए फूस और टाट की बोरियों से बने विशेष ‘इको-थर्मल कंबल’ तैयार किए जा रहे हैं। ये कंबल कम लागत में बनते हैं। पर्यावरण के अनुकूल और गोवंश संरक्षण को प्रभावी बनाते हैं।

इसके साथ ही गोशाला में गोबर से बर्मी कम्पोस्ट और ‘गो-कास्ट’ जैसे नवाचारी उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं। इनकी बाजार में तेजी से मांग बढ़ रही है। एटा के सीडीओ डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र ने इस मॉडल को गो-कल्याण, पुनर्चक्रण और ग्रामीण आजीविका का उत्कृष्ट समन्वय बताया। उन्होंने कहा कि डीएम के नेतृत्व में गोशाला को आय के स्थायी स्रोत के रूप में विकसित किया जा रहा है।
कार्ययोजना के तहत स्वयं सहायता समूहों की 30 ‘सखी दीदियों’ को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। ये महिलाएं गोबर से अगरबत्ती, धूपबत्ती, मोमेंटो, गमले सहित अन्य उपयोगी उत्पाद तैयार करेंगी। इससे उन्हें नियमित आय का अवसर मिलेगा और वे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन सकेंगी।
इसके अलावा मलावन गोशाला के पास हाईवे पर एक स्थायी मार्केट प्लेस विकसित करने की योजना है जहां गो आधारित उत्पादों की सीधी बिक्री होगी। इससे स्थानीय उत्पादों को बाजार मिलेगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को नई गति मिलेगी।
महिलाओं ने बताया कि वे गोशाला संचालन, स्वच्छता, पोषण प्रबंधन और उत्पाद निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस मॉडल को और सशक्त बनाएंगी। योगी सरकार की यह पहल स्पष्ट संदेश देती है कि गोसेवा और रोजगार साथ-साथ चल सकते हैं। नवाचार और महिला सहभागिता के जरिए प्रदेश की गोशालाएं अब आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं।






