रायपुर, 14 अप्रैल 2025
भारतीय संविधान के शिल्पकार डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अपनी पुस्तक “पाकिस्तान अथवा भारत का विभाजन” में स्पष्ट किया था कि पाकिस्तान के निर्माण के बावजूद भारत में हिंदू-मुस्लिम विवाद समाप्त नहीं होगा। उन्होंने लिखा कि सीमाओं के निर्धारण से पाकिस्तान को सजातीय देश बनाया जा सकता है, लेकिन भारत में मुस्लिम आबादी के व्यापक प्रसार के कारण यह संभव नहीं है।
आंबेडकर ने यह भी कहा कि हिंदू-मुस्लिम एकता केवल राजनीतिक समझौते से नहीं, बल्कि सामाजिक और भावनात्मक एकता से ही संभव है। उन्होंने लिखा, “हिंदुओं और मुसलमानों के बीच राजनीतिक एकता पर्याप्त नहीं है। उनके बीच सच्चे बंधुत्व की भावना आवश्यक है।
उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भारत में साम्प्रदायिक शांति स्थापित करने के लिए जनसंख्या की अदला-बदली एक स्थायी समाधान हो सकता है। उन्होंने लिखा, “जब तक जनसंख्या की अदला-बदली नहीं की जाएगी, तब तक भारत में बहुसंख्यक बनाम अल्पसंख्यक की समस्या बनी रहेगी।”
डॉ. आंबेडकर का मानना था कि हिंदू-मुस्लिम समस्या चिरस्थायी है और इसे केवल राजनीतिक उपायों से हल नहीं किया जा सकता। उन्होंने लिखा, “अतीत का अनुभव बताता है कि उनमें सामंजस्य नहीं हो सकता।”
आज, आंबेडकर जयंती के अवसर पर, उनके विचार हमें यह सोचने पर मजबूर करते हैं कि क्या हमने उनके द्वारा उठाए गए प्रश्नों और सुझावों पर पर्याप्त ध्यान दिया है। उनकी दृष्टि में, केवल राजनीतिक समझौते नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक समरसता ही स्थायी समाधान है।