लखनऊ, 21 नवंबर 2025 :
अंधकार की रात के बाद जब आकाश में नया चंद्रमा पहली बार नजर आता है, वही खास पल है प्रतिपदा का। 21 नवंबर 2025 को मार्गशीर्ष प्रतिपदा पर चंद्र दर्शन से जीवन में नई ऊर्जा, शांति और खुशहाली आती है। पूरे साल में 12 अमावस्या होती हैं और हर अमावस्या की अपनी खासियत होती है। अमावस्या की रात अंधकार में डूबी रहती है और चंद्रमा दिखाई नहीं देता। लेकिन इसके अगले दिन यानी प्रतिपदा तिथि पर, आकाश में नया चंद्रमा पहली बार दिखाई देता है। यह चंद्रमा कोमल, शांत और शुभता से भरा होता है।
चंद्र दर्शन क्यों खास है?
ज्योतिष और शास्त्रों में प्रतिपदा के दिन चंद्र दर्शन को बहुत शुभ माना गया है। अमावस्या के दिन चंद्रमा अदृश्य होता है, जिसे अंधकार का प्रतीक माना जाता है। प्रतिपदा के दिन चंद्रमा का उदय नई ऊर्जा, शांति और खुशहाली का संकेत देता है। इसे जीवन में नई शुरुआत और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक माना जाता है।

21 नवंबर 2025 का चंद्र दर्शन
इस साल 21 नवंबर को मार्गशीर्ष प्रतिपदा है। इस दिन चंद्र दर्शन का विशेष योग बन रहा है। ज्योतिष के अनुसार यह दिन मानसिक शांति, वैवाहिक सुख और आर्थिक लाभ लाने वाला है। चंद्रमा हमारे मन का कारक माना जाता है। प्रतिपदा के दिन चंद्र दर्शन करने से मन शांत होता है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है।
चंद्रमा की पूजा कैसे करें?
प्रतिपदा के दिन सुबह उठकर स्नान करें और घर के मंदिर को साफ करें। चंद्रमा की पूजा करने से जीवन में खुशहाली आती है। आप चंद्रमा को पानी में कच्चे दूध की कुछ बूंदें डालकर अर्घ्य दे सकते हैं। ऐसा करने से कुंडली में चंद्रमा मजबूत होता है और मन की अशांति, क्रोध और चिंता कम होती है।
प्रतिपदा का क्या है महत्व?
प्रतिपदा का चंद्र दर्शन केवल पूजा नहीं है। यह जीवन में नई ऊर्जा, सकारात्मक बदलाव और मानसिक शांति लाने वाला माना जाता है। इस दिन चंद्र दर्शन और पूजा करने से जीवन में संतुलन, सुख और सफलता आती है।






