
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 12 जुलाई 2025:
यूपी में महादेव की नगरी काशी में मां गंगा अपना रौद्र रूप दिखा रहीं हैं। वाराणसी के 84 घाटों पर बाढ़ का पानी छा गया है, जिससे दशाश्वमेध घाट सहित सभी प्रमुख घाट जलमग्न हो चुके हैं। गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, और इस सैलाब ने घाटों की सीढ़ियों को लील लिया है। दुकानदार अपने सामान समेटने में जुटे हैं, तो पंडा-पुजारी अपनी चौकियों को ऊंचाई पर ले जा रहे हैं। नावों का संचालन सीमित हो गया है, और छोटी नावों पर पूरी तरह रोक लग चुकी है। आलम ये है कि गंगा आरती की जगह भी बदलनी पड़ी है।
गंगा का जलस्तर गुरुवार की सुबह आठ बजे 65.04 मीटर पर था जो शुक्रवार की सुबह 24 घंटे में 66 सेमी बढ़कर 65.70 मीटर पर पहुंच गया। इसके बाद गंगा के जलस्तर में दो सेमी प्रति घंटा वृद्धि होती रही और रात 10 बजे 65.98 मीटर पर पहुंच गया। गंगा का उफान बढ़ने से विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट की गंगा आरती का स्थान बदल गया है। अब आरती घाट की ऊपरी सीढ़ियों पर हो रही है। जलस्तर और बढ़ा तो शायद इसे फिर से स्थानांतरित करना पड़े।
घाटों के डूब जाने से शवों के अंतिम संस्कार में भारी समस्या हो रही है। हरिश्चंद्र घाट पर अब गलियों में शवदाह किया जाने लगा है तो शवों की लंबी कतार लग जा रही है। वहीं महाश्मशान मणिकर्णिका पर ऊपर छत पर एक बार में केवल एक या दो शव ही एक साथ जलाए जा रहे हैं। इससे वहां भी लोगों को शवदाह के लिए घंटों प्रतीक्षा करनी पड़ रही है।
गंगा के इस रौद्र रूप के बीच श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन सतर्क है। जल पुलिस, एनडीआरएफ की टीमें और स्वयंसेवक घाटों पर तैनात हैं। पहाड़ों पर मूसलाधार बारिश और बांधों से छोड़ा गया पानी गंगा के उफान की बड़ी वजह है। घाटों की खूबसूरती भले ही बाढ़ में समा गई हो, लेकिन काशीवासियों और श्रद्धालुओं का उत्साह बरकरार है।






