पटना, 17 मई 2025
देश में शहरों के नाम बदलने की दौड़ में अब एक और नया शहर का नाम जुड़ गया है। ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व के चलते अब बिहार के ‘गया’ शहर को सरकार ने ‘गया जी’ से रूपांतरित कर दिया है अब यह शहर “गया जी” के नाम से जाना जाएगा। राज्य कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए बिहार मुख्यमंत्री नीतीश यह निर्णय लिया गया।
बैठक के बाद संवाददाताओं को जानकारी देते हुए राज्य के अतिरिक्त मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने मीडिया को बताया कि स्थानीय भावनाओं और शहर के ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को देखते हुए सरकार ने यह निर्णय लिया गया है।
वहीं सरकार के इस फैसले पर जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा ने शहर का नाम बदलने के लिए सीएम नीतीश कुमार को धन्यवाद दिया साथ ही उन्होंने कहा, “मैं नाम बदलने के इस महत्वपूर्ण निर्णय के लिए माननीय मुख्यमंत्री का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं तथा सभी गयाजीवासियों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं।”
भाजपा सांसद रविशंकर प्रसाद ने भी गया जी नाम बदलने पर नीतीश सरकार के फैसले का स्वागत किया और कहा कि यह फैसला गया के धार्मिक महत्व को उजागर करता है
प्रसाद ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा, “गया का नाम बदलकर ‘गयाजी’ करने का राज्य मंत्रिमंडल का फैसला स्वागत और गौरव की बात है। यह फैसला न केवल गया के धार्मिक महत्व को उजागर करता है, बल्कि एनडीए सरकार की सनातन संस्कृति के प्रति समर्पण और धार्मिक स्थलों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।”
वैसे आपको जानकारी के लिए बता दे कि गया शहर अपने धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। हर साल पितृपक्ष के दौरान यहां दुनिया भर से लाखों पर्यटक गया आते हैं और अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान करते हैं।
प्रचीन इतिहास के तहत गया मगध साम्राज्य का हिस्सा था। यह शहर फल्गु नदी के तट पर स्थित है। तीन पहाड़ियाँ मंगला-गौरी, श्रृंग-स्थान, राम-शिला और ब्रह्मयोनी इसे तीन तरफ से घेरे हुए हैं। गया में सबसे आकर्षक जगह विष्णुपद मंदिर है। यह मंदिर फल्गु नदी के तट पर स्थित है और इसमें बेसाल्ट के एक खंड पर भगवान विष्णु के पदचिह्न उकेरे गए हैं। लोगों का मानना है कि भगवान विष्णु ने गयासुर की छाती पर अपना पैर रखकर उसका वध किया था।
बोधगया भी गया में ही स्थित है जो दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र बौद्ध तीर्थस्थलों में से एक है। यहीं पर एक बरगद के पेड़, बोधि वृक्ष के नीचे गौतम ने सर्वोच्च ज्ञान प्राप्त किया और बुद्ध बन गए।