Uttar Pradesh

गाजीपुर: अमेरिका में पाई जाने वाली फिश गंगा नदी में मिली, देखकर हैरान रह गए मछुआरे

गाजीपुर, 2 अगस्त 2025

उत्तर प्रदेश के सैदपुर तहसील के पटना गांव के पास कुछ मछुआरे गंगा नदी में मछली पकड़ रहे थे. इसी दौरान एक मछुआरे के जाल में एक दुर्लभ मछली आ फंसी, जिसे देख मछुआरे दंग रह गये. यह मछली आम मछलियों से बिल्कुल अलग थी. मछली के पूरे शरीर पर बिल्ली के रंग वाले कलाकृति का डिजाइन बना हुआ है. इस विचित्र मछली को देखने के लिए सैकडों लोग उमड़ पड़े. गांव के कई बुजुर्ग, पुराने मछुआरे और नाविकों ने बताया कि ऐसी मछली पहली बार गंगा नदी में देखी गई है, जिसके पूरे शरीर पर कांटे ही कांटे है. मछली को नंगे हाथों से पकड़ना बहुत ही मुश्किल है. मछली के पंख भी अन्य मछलियों से काफी बड़े है.

मछली के प्रजाति की तलाश में मछुआरों ने कई विज्ञान शिक्षकों से भी सम्पर्क किया. यह मछली गाजीपुर के सैदपुर तहसील के पटना गांव के पास गंगा नदी में मिली है. यहां गोंमती नदी का संगम स्थल भी है और यहीं पर डॉल्फिन मछलियों का बसेरा भी मिलता है. आए दिन डॉल्फिन यहां पर उछल कूद करती हुई दिखती है यहीं पर एक बार फिर से मछुआरों को एक अजीब प्रजाति की मछली मिली है, जिसका पूरा शरीर कांटों से भरा पड़ा है. रविकांत निषाद ने बताया कि गूगल की मदद से मछली का फोटो अपलोड कर उसकी पहचान अमेरिकन कैटफिश के रूप में की गई.

मछुआरों ने बताया कि जब वो गंगा नदी में मछली मार रहे थे. इसी दौरान उसने मछलियों के जाल में चितकबरे रंग की मछली देखी, लेकिन उसे नही पहचान पाये की किस प्रजाति की है. मछली के पूरे शरीर पर बिल्ली के रंग वाले कलाकृति का डिजाइन बना हुआ है. इसके पहले यह मछली गंगा नदी में बिहार के दरभंगा में करीब 20 दिन पहले देखी गई थी. रविकांत निषाद नाम के शख्स ने बताया कि इसके बारे में जानकारी के लिए गूगल की मदद ली गई. मछली का फोटो गूगल पर अपलोड किया गया तो उसकी पहचान अमेरिकन कैटफिश के रूप में हुई. कांटेदार कैटफिश मछली के कई प्रजातियां है जिनमें से कुछ के शरीर पर कांटेदार होती हैं. यह काफी खतरनाक मछली मानी जाती है. कांटेदार कैटफ़िश के कांटे उनकी रक्षा के लिए होते हैं. जो शिकारियों से बचने में मदद करते हैं.

यह मछली दक्षिणी अमेरिका की नदियों में पाई जाती है, जिनमें ओवरलैपिंग प्लेटें और हवाई श्वसन के लिए आंतों में संशोधन होते हैं जो उन्हें पानी की सतह से हवा में सांस लेने की अनुमति देता है. ये मछलियां वहां के अक्सर छोटे तालाबों, झीलों और नदियों में पाई जाती हैं. गंगा नदी के बाढ़ में आये इस दोनों मछली को मछुआरों ने नदी की धाराओं में छोड़ दिया.

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