
हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 8 सितंबर 2025 :
यूपी के गोरखपुर जिला मुख्यालय स्थित महंत दिग्विजय नाथ व ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ की पुण्य तिथि के अवसर पर गोरखनाथ मंदिर में ‘संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति’ विषय पर संगोष्ठी हुई। इस दौरान काशी हिंदू विश्वविद्यालय के संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय के ज्योतिष विभाग के आचार्य प्रो. सुभाष पांडेय ने कहा कि मनुष्य के जीवन में प्रतिदिन घटित होने वाली समस्याओं का समीचीन समाधान यदि कहीं है तो संस्कृत व भारतीय संस्कृति में ही है।
प्रोफेसर सुभाष पांडे ने कहा कि यह भाषा संस्कारों का जीवन में प्रवेश करा कर मानव को पूर्ण मानव बनाती है। भारत की प्रतिष्ठा संस्कृत एवं भारतीय संस्कृति से ही है। आज नाशा के वैज्ञानिक संस्कृत सीख रहे है। उनके द्वारा कंप्यूटर के लिए यह भाषा सबसे उपयुक्त भाषा मानी गयी है। संस्कृत में जो विज्ञान छिपा हुआ है उसी को दुनिया के लोगों ने समय समय पर प्रकाश में लाकर अपना नाम दे दिया है। किसी संस्कृति को विश्वस्तर पर ,देश, राज्य व परिवार के स्तर पर कई रूपों में देखा जाता है। दुनिया में केवल भारतीय संस्कृति ही ऐसी है जो इन सब रूपों की पर्याय बनीं हुई है। हम अपने बच्चों को अन्य साधन दें या न दें, किंतु संस्कार अवश्य दें, क्योंकि संस्कार यदि नहीं रहेगा तो पूरे कुल का नाश हो जाएगा। आज के युग में सभी प्रकार की शिक्षाओं में संस्कृत व संस्कृति को जोड़ना आवश्यक है। आज का समाज डिप्रेशन का शिकार हो रहा है। इसका मुख्य कारण है लोगों का संस्कृत व संस्कृति से दूर होना।

स्वामी रामदिनेशाचार्य जी महाराज ने कहा कि संस्कृत केवल एक भाषा नहीं अपितु भारत की अभिलाषा है। संस्कृत भाषा व्यक्ति को आत्म गौरव से भरने वाली भाषा है। संस्कृत का अर्थ ही है संस्कारवान् होना। संस्कृत ऐसी भाषा है जिसमें बोलने वाले के स्वभाव के अनुसार भाव व शब्द भिन्न भिन्न हो जाते हैं। रावण भी संस्कृत बोलता था और श्री राम भी संस्कृत बोलते थे पर दोनों की संस्कृति अलग अलग अलग थी। इसलिए उनकी भाषा में भी भिन्नता थी। इस विषय का चिंतन यह पीठ अनेक वर्षों से लगातार करती चली आ रही है।
काशी से आए जगतगुरु श्री विष्णुस्वामी संप्रदायाचार्य श्रीसंतोषाचार्य सतुआ बाबा जी महाराज ने कहा कि संस्कृत भाषा देववाणी है, जब तक संस्कृत को जानने व बोलने वाले अधिक मात्रा में थे तब तक समाज में विवाद नहीं संवाद की परम्परा रही। हनुमान गढ़ी अयोध्या के महंत राजूदास महाराज ने कहा कि आज भारत का विश्व में जिस प्रकार परचम लहरा रहा है उसका मुख्य कारण संस्कृत और भारतीय संस्कृति ही है। सच्चा आश्रम अरैल के आचार्य शिव प्रकाश महाराज, नीमच, मध्य प्रदेश के योगी लालनाथ महाराज, संस्कृत भारती के प्रांत संगठन मंत्री प्रकाश झा, गोरक्षनाथ मंदिर के प्रधान पुजारी योगी कमल नाथ महाराज ने अपने विचार रखे।






