
गोरखपुर, 12 जून 2025
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे बनकर पूरी तरह तैयार है। 17 जून को मुख्यमंत्री इस महत्वपूर्ण परियोजना का लोकार्पण करेंगे। पूर्वांचल में सड़क कनेक्टिविटी को नई ऊंचाई देने वाला यह एक्सप्रेसवे, पूर्वी उत्तर प्रदेश के सामाजिक और आर्थिक विकास की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
लो लैंड क्षेत्र में जहां सामान्य सड़कें बनाना भी चुनौतीपूर्ण था, वहां योगी सरकार ने आधुनिक प्रवेश नियंत्रित फोरलेन एक्सप्रेसवे का निर्माण कर एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है। यह एक्सप्रेसवे गोरखपुर से शुरू होकर आजमगढ़ में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ता है। इससे चार जिलों गोरखपुर, सन्तकबीरनगर, अम्बेडकरनगर और आजमगढ़ के लोगों को आवागमन में काफी सहूलियत होगी।
91.35 किमी लंबाई, 7283 करोड़ रुपये आई लागत
91.35 किमी लंबे इस एक्सप्रेसवे पर कुल लागत 7283.28 करोड़ रुपये आई है। इसमें भूमि अधिग्रहण की लागत भी शामिल है। यह यूपी एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी (यूपीडा) की फ्लैगशिप परियोजनाओं में से एक है।
गोरखपुर लिंक एक्सप्रेसवे से गोरखपुर से लखनऊ की यात्रा अब महज साढ़े तीन घंटे में पूरी हो सकेगी। दिल्ली और आगरा जैसे शहरों से भी यह क्षेत्र बेहतर ढंग से जुड़ जाएगा। इससे न केवल लोगों की आवाजाही में सुविधा होगी, बल्कि ईंधन और समय की बचत के साथ-साथ प्रदूषण नियंत्रण में भी मदद मिलेगी।
गोरखपुर एक्सप्रेसवे की विशेषताएं
-प्रारंभ बिंदु: जैतपुर (गोरखपुर)
-अंतिम बिंदु: सालारपुर (आजमगढ़) में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे से जुड़ाव
-लंबाई: 91.35 किमी
-संरचना: पूर्णतः प्रवेश नियंत्रित फोरलेन, भविष्य में सिक्सलेन में विस्तारणीय
लिंक एक्सप्रेसवे पर सुविधाएं
9 टोल प्लाजा एवं रैम्प प्लाजा, 9 रैम्प, 2 जनसुविधा परिसर, 2 टॉयलेट ब्लॉक, 7 फ्लाईओवर, 8 बड़े पुल, 14 छोटे पुल, 49 पैदल अंडरपास, 55 लघु वाहन अंडरपास, 20 वाहन अंडरपास और 1 वाहन ओवरपास।
इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने की योजना
इसके अलावा एक्सप्रेसवे के दोनों ओर इंडस्ट्रियल कॉरिडोर विकसित करने की योजना से क्षेत्र में उद्योग, कृषि, वाणिज्य और पर्यटन को भी बड़ा प्रोत्साहन मिलेगा। मुख्यमंत्री की प्राथमिकता वाली इस परियोजना से पूर्वांचल के सर्वांगीण विकास की नींव और मजबूत होगी।