हरेंद्र दुबे
गोरखपुर, 31 मार्च 2025:
गोरखपुर शहर से 15 किमी पूर्व स्थित कुस्मही जंगल के बीच स्थित प्राचीन बुढ़िया माई मंदिर में चैत्र नवरात्रि पर श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रहा है। भक्त यहां माता बुढ़िया के स्थान पर देवी ब्रह्मचारिणी के स्वरूप की पूजा-अर्चना कर रहे हैं। इस मंदिर की मान्यता इतनी गहरी है कि देश-विदेश से श्रद्धालु माता के दर्शन के लिए खिंचे चले आते हैं।
बुढ़िया माई मंदिर की पौराणिक मान्यता
कहा जाता है कि प्राचीन समय में यहां घना जंगल और एक नाला बहता था, जिस पर लकड़ी का पुल बना था। मान्यता के अनुसार एक बार एक बारात पुल पार करने से पहले एक बुजुर्ग महिला से मिली, जिसने उनसे नृत्य देखने की इच्छा जताई। नृत्य मंडली ने उनका मजाक उड़ाया, लेकिन एक जोकर ने उनकी बात मानकर बांसुरी बजाकर नृत्य कर दिया। बुजुर्ग महिला ने प्रसन्न होकर जोकर को आगाह किया कि वापसी में वह पुल पार न करे। जब बारात वापस लौटी, तो पुल के बीच पहुंचते ही टूट गया, जिससे पूरी बारात नाले में समा गई, लेकिन जोकर सुरक्षित रहा। इसके बाद वह बुजुर्ग महिला अदृश्य हो गईं और यह स्थान “बुढ़िया माई” के नाम से प्रसिद्ध हो गया।
नवरात्रि पर लगता है भव्य मेला
नवरात्रि के दौरान बुढ़िया माई मंदिर में विशेष अनुष्ठान और भव्य मेले का आयोजन किया जाता है। भक्तों की लंबी कतारें माता के दर्शन के लिए उमड़ पड़ती हैं। मान्यता है कि यहां सच्चे हृदय से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है, और माता अपने भक्तों को अकाल मृत्यु से बचाती हैं।
शुभ कार्य के लिए लोग पहुंचते हैं बुढ़िया माई मंदिर
इस मंदिर में वर्षभर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। मुंडन, विवाह जैसे शुभ कार्य भी यहां किए जाते हैं। मंदिर के दोनों ओर बने पवित्र स्थल को जोड़ने के लिए नाले को नाव के जरिए पार किया जाता है। बुढ़िया माई की महिमा दूर-दूर तक फैली हुई है और हर साल नवरात्रि में हजारों श्रद्धालु यहां अपनी आस्था प्रकट करने पहुंचते हैं।