पुणे, 11 अगस्त 2025
भारतीय वायुसेना के सेवानिवृत्त ग्रुप कैप्टन डी. के. पारुलकर का पुणे में 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वे 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान पाकिस्तान की कैद से भागने वाले साहसिक नेतृत्वकर्ता थे। उनके निधन से भारतीय वायुसेना और देश के सैन्य इतिहास में एक प्रेरणादायक अध्याय समाप्त हुआ।
पारुलकर ने 1965 के युद्ध में गंभीर चोट के बावजूद क्षतिग्रस्त विमान को सुरक्षित आधार तक पहुंचाया था, जिसके लिए उन्हें वायु सेना पदक से सम्मानित किया गया। 1971 के युद्ध के दौरान, वे पाकिस्तान के रावलपिंडी स्थित युद्धबंदी शिविर में बंद थे। वहां उन्होंने दो अन्य साथियों के साथ सुरंग खोदकर 13 अगस्त 1972 को युद्धबंदी शिविर से भागने की बहादुरी दिखाई। इसके लिए उन्हें विशिष्ट सेना पदक भी मिला।
उनके पुत्र आदित्य पारुलकर ने बताया कि सोमवार की सुबह पुणे स्थित आवास पर उन्हें हार्ट अटैक आया, जिससे उनकी मृत्यु हो गई। वे अपने पीछे पत्नी और दो पुत्र छोड़ गए हैं। भारतीय वायुसेना ने सोशल मीडिया पर उनके साहस और देशभक्ति को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी है।
ग्रुप कैप्टन डी.के. पारुलकर ने भारतीय वायुसेना में फ्लाइंग इंस्ट्रक्टर समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर सेवा दी और अपने करियर में साहस, सरलता और समर्पण का परिचय दिया। उनकी वीरता और नेतृत्व क्षमता भारतीय वायुसेना के लिए गर्व का विषय रही।
उनके निधन पर भारतीय वायुसेना के तमाम अधिकारी और जवान गहरा शोक व्यक्त कर रहे हैं। उनका अंतिम संस्कार पुणे में आयोजित किया गया। उनकी बहादुरी की कहानियां आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेंगी।