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बिहार में HAM ने बढ़ाई भाजपा-जद(यू) की टेंशन, सीट आवंटन पर जीतन राम मांझी नाराज

पटना, 14 अप्रैल 2025

केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने रविवार को बिहार के गया जिले में 20 सूत्री कार्यक्रम समितियों के गठन में कथित अनुचित व्यवहार को लेकर भाजपा-जद(यू) नेतृत्व के प्रति खुले तौर पर असंतोष व्यक्त किया।

पटना में अपनी पार्टी की कार्यकारिणी की बैठक में बोलते हुए मांझी ने एनडीए सहयोगियों की आलोचना की कि क्षेत्र में पार्टी की निर्वाचित उपस्थिति के बावजूद स्थानीय स्तर पर संगठनात्मक नियुक्तियों में एचएएम को दरकिनार किया जा रहा है।

हम प्रमुख ने कहा, “गया की छह विधानसभा सीटों में से तीन हमारी पार्टी की हैं। मैं खुद वहां से सांसद हूं। फिर भी गया की 20 सूत्री कार्यक्रम समिति में हमें केवल एक सीट आवंटित की गई।” उन्होंने कहा कि यहां तक ​​कि ब्लॉक स्तरीय समिति के पदों पर भी भाजपा और जद-यू का एकाधिकार है।

20 सूत्री कार्यक्रम, एक केन्द्रीय समन्वित सामाजिक-आर्थिक पहल है, जो जमीनी स्तर पर नीति कार्यान्वयन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

मांझी ने मांग की कि एचएएम को उन ब्लॉकों में समितियों का नेतृत्व करना चाहिए जहां उसके पास विधायक सीटें हैं। उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रतिनिधित्व की अनदेखी करने से एनडीए के भीतर साझेदारी की भावना कम होती है।उन्होंने कहा कि एनडीए नेताओं ने इस चूक को एक “गलती” के रूप में स्वीकार किया है, हालांकि तत्काल कोई सुधारात्मक कार्रवाई की घोषणा नहीं की गई है।

हम की चुनावी महत्वाकांक्षाओं को पुष्ट करते हुए मांझी ने आगामी 2025 के बिहार विधानसभा चुनावों में 35 सीटों की अपनी पूर्व मांग दोहराई और दावा किया कि पार्टी को अवसर मिलने पर कम से कम 20 सीटें जीतने का भरोसा है। उन्होंने कहा, “अगर हमारे पास 20 विधायक होंगे तो हम लोगों के लिए काम कराने में मजबूत स्थिति में होंगे। मुख्यमंत्री कोई भी हो, हमारी आवाज सुनी जाएगी।”

मांझी ने स्पष्ट किया कि हालांकि ये मांगें पार्टी कार्यकर्ताओं की आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करती हैं, लेकिन अंतिम निर्णय हम अध्यक्ष संतोष कुमार सुमन को लेना है।

हालांकि, मांझी ने कहा कि हम एनडीए के प्रति प्रतिबद्ध है और किसी भी परिस्थिति में गठबंधन नहीं तोड़ेगी। उन्होंने कहा, “हम एनडीए नहीं छोड़ रहे हैं। पार्टी संरक्षक के तौर पर अधिक सीटें मांगना मेरा अधिकार है। हम केवल उचित हिस्सेदारी चाहते हैं जो हमारी जमीनी ताकत को दर्शाए।”

यह बयान बिहार में राजनीतिक रूप से उत्तेजित माहौल के बीच आया है, जहां कई पार्टियां राज्य चुनावों से पहले संगठनात्मक प्रयास तेज कर रही हैं।

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