
उदयपुर, 26 फरवरी 2025
महाशिवरात्रि के अवसर पर दूर-दूर से श्रद्धालु उदयपुर के एकलिंगजी महादेव मंदिर में उमड़ते हैं, जहां अन्य मंदिरों के विपरीत भगवान शिव की मेवाड़ के महाराणा (राजा) के रूप में पूजा की जाती है।
मंदिर से जुड़ी एक परंपरा के अनुसार, मेवाड़ के राजा दीवान के रूप में काम करते थे और प्रशासनिक कार्य करते थे और यह पिछले 1500 सालों से चली आ रही परंपरा है. आज भी, जब राजा शासक नहीं रहे, तब भी स्थानीय लोगों में यह मान्यता कायम है. यह मंदिर उदयपुर से 22 किलोमीटर दूर NH-48 पर कैलाशपुरी में स्थित है. ईटीवी भारत की टीम मंदिर पहुंची, जहां दूर-दूर से आई सैकड़ों महिलाएं भगवान एकलिंग नाथ की जय-जयकार करती नजर आईं।
भगवान एकलिंग नाथ मेवाड़ के पूर्व महाराजाओं के कुलदेवता हैं। इतिहासकार चंद्रशेखर शर्मा ने बताया कि राजा युद्ध पर जाने से पहले इस मंदिर में दर्शन करना नहीं भूलते थे। मेवाड़ के राजा जब कोई युद्ध जीतते थे तो युद्ध के मैदान में ‘मेवाड़ जय स्वामी भगवान एकलिंग नाथ’ के नारे गूंजते थे। शर्मा ने बताया कि बप्पा रावल के समय से ही एकलिंग नाथ को मेवाड़ का राजा माना जाता है। राजशाही के दौरान लिखे पत्रों में राजाओं ने खुद को मेवाड़ का दीवान बताया है। स्थानीय निवासी अशोक ने बताया कि देश-विदेश से बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं। मान्यता है कि भगवान के दर्शन मात्र से ही भक्तों की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। अशोक ने बताया कि मंदिर में चतुर्मुखी मूर्ति है, जिसमें भगवान ब्रह्मा, विष्णु, महेश और सूर्य की प्रतिमा है।
एकलिंगजी महादेव मंदिर सुबह 4 बजे खुलता है और दर्शन सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 बजे तक किए जा सकते हैं। शाम को दर्शन शाम 5:30 बजे से रात 8:00 बजे तक होते हैं, जिस दौरान मंदिर में भगवान त्रिकाल पूजा की जाती है।






