Uttar Pradesh

कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला : गैंगरेप का झूठा केस दर्ज कराने वाली महिला को साढ़े 7 साल की सजा

लखनऊ, 17 जून 2025:

यूपी की राजधानी लखनऊ में एससी/एसटी एक्ट के विशेष न्यायाधीश ने सामूहिक दुष्कर्म और एससी/एसटी का झूठा
केस दर्ज कराने की दोषी पाई गई रेखा देवी को कड़ी सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने रेखा को सात वर्ष छह माह की कैद और दो लाख एक हजार रुपये के जुर्माने की सजा दी है।

कोर्ट ने आदेश में कहा कि जुर्माने की आधी रकम झूठे मुकदमे में फंसाए गए राजेश और भूपेंद्र (जिनकी मुकदमे के दौरान मृत्यु हो चुकी है) के उत्तराधिकारियों को बराबर-बराबर दी जाए। आदेश की प्रति लखनऊ और बाराबंकी के डीएम को भेजने के निर्देश दिए गए हैं।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि यदि मामले की रिपोर्ट दर्ज कराने के एवज में रेखा को कोई मुआवजा राशि दी गई हो, तो वह तत्काल वापस ली जाए। न्यायालय ने प्रशासन को यह सुनिश्चित करने का आदेश दिया कि भविष्य में किसी भी मामले में पुलिस द्वारा आरोप-पत्र (चार्जशीट) दाखिल किए जाने के बाद ही पीड़ित को मुआवजा दिया जाए। केवल एफआईआर दर्ज करने पर राहत की धनराशि न दी जाए, ताकि झूठे मुकदमे दर्ज कराने की प्रवृत्ति पर रोक लग सके।

विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि बाराबंकी जिले के जैदपुर क्षेत्र की रहने वाली रेखा देवी ने 29 जून 2021 को थाना जैदपुर में राजेश और भूपेंद्र पर जान से मारने की धमकी देने और सामूहिक दुष्कर्म करने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराई थी।

हालांकि, घटनास्थल लखनऊ के बीकेटी क्षेत्र में होने के कारण विवेचना बीकेटी पुलिस को सौंपी गई। जांच में सामने आया कि शिकायतकर्ता अनुसूचित जाति की है, लेकिन उसने जानबूझकर आरोपियों को फंसाने के लिए फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था। जांच अधिकारी ने आरोपियों को क्लीन चिट देते हुए अदालत में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की और रेखा देवी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार करते हुए यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।

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