अलीगढ़, 20 अप्रैल 2025 —
सास सपना और दामाद राहुल की प्रेम कहानी ने अलीगढ़ शहर को सुर्खियों में ला दिया है, लेकिन इसी बहाने इस ऐतिहासिक शहर के नाम और इतिहास की चर्चा भी फिर से शुरू हो गई है। अलीगढ़ का इतिहास सैकड़ों साल पुराना है, जिसका जुड़ाव राजपूतों, सुल्तानों, मुगलों और मराठों से रहा है।
12वीं शताब्दी के अंत तक इस क्षेत्र में राजपूतों का शासन था। बाद में दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों ने यहां कब्जा जमाया। उस समय इस शहर को ‘कोल’ या ‘कोइल’ के नाम से जाना जाता था। कोल नाम की उत्पत्ति पर मतभेद हैं, कुछ इसे एक जनजाति का नाम मानते हैं, तो कुछ इसे पौराणिक पात्रों से जोड़ते हैं। 1194 ईस्वी में कुतुबुद्दीन ऐबक ने कोल पर कब्जा किया और हिसामउद्दीन उलबक को पहला मुस्लिम गवर्नर बनाया।
1252 ईस्वी में बलबन ने यहां एक मीनार बनवाई थी, जिसका उल्लेख अब भी मिलता है। इब्न बतूता ने अपने यात्रा वृत्तांत में कोल का जिक्र करते हुए इसे हरे-भरे आम के पेड़ों से घिरा बताया है। उन्होंने बताया कि उनके कारवां को जलाली नामक जगह पर डकैतों ने लूट लिया था, जो आज अलीगढ़ के पास एक बड़ा गांव है।
अकबर और जहांगीर के काल में यह शहर आगरा सूबे का हिस्सा था। जहांगीर ने कोल के जंगलों में शिकार भी किया था। 18वीं सदी में जाटों ने इस पर कब्जा कर इसका नाम ‘रामगढ़’ रख दिया। लेकिन बाद में मराठों के शासन में यह ‘अली गढ़’ कहलाया, जो उनके गवर्नर नजफ अली खान के नाम पर रखा गया था।
1803 में अंग्रेजों ने अलीगढ़ किले पर कब्जा कर लिया और पूरे शहर का नाम अलीगढ़ कर दिया। आज भी ‘कोल’ नाम अलीगढ़ की एक तहसील के रूप में मौजूद है। इस तरह सास-दमाद की अनोखी प्रेम कहानी से चर्चा में आए अलीगढ़ का इतिहास भी उतना ही दिलचस्प और विविधतापूर्ण है।