पटना, 14 जून 2025
बिहार में अपनी पार्टी की पकड़ बनाने और आगामी चुनाव में अपने आप को एक राजनेता के तौर पर स्थापित करने के लिए जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर पिछले दो साल से गांव-गांव में अभियान चला रहे है। इसी अभियान के तहत शुक्रवार को प्रशांत किशोर ने दावा किया कि अब बिहार में लोगों बदलाव चाहते हैं। उन्होंनें कहा – बिहार ऐतिहासिक बदलाव के मुहाने पर खड़ा है, जहां 60 प्रतिशत से अधिक लोग बदलाव चाहते हैं।
गांवों में अपने दो साल के अभियान के बारे में बात करते हुए किशोर ने इस बात पर जोर दिया कि बिहार के लोग अपने बच्चों के लिए शिक्षा और रोजगार के अवसर चाहते हैं और गरीबी, सीमित राजनीतिक विकल्पों और लालू प्रसाद यादव और भाजपा जैसे नेताओं के डर से होने वाली कठिनाइयों से थक चुके हैं। उन्होंने कहा, “हम पिछले दो सालों से कह रहे हैं कि माहौल बदल रहा है… इस बार बिहार में इतिहास लिखा जाएगा। पिछले दो सालों से हम गांव-गांव घूमकर कह रहे हैं कि बिहार में 60 प्रतिशत से ज्यादा लोग बदलाव चाहते हैं। वे अपने बच्चों के लिए शिक्षा और रोजगार चाहते हैं। लोग मुश्किलों से जूझ रहे हैं। वे विकल्पहीनता और लालू और भाजपा के डर के कारण ऐसे जी रहे थे।
अब उनके पास जन सुराज के रूप में एक विकल्प है, उनके पास एक रास्ता है…” जन सुराज पार्टी के प्रमुख प्रशांत किशोर आगामी बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अपने प्रचार अभियान के तहत गया के वजीरगंज में एक जनसभा को संबोधित करने आए थे। इस बीच, केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान ने पहले घोषणा की कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे। आरा में एक जनसभा को संबोधित करते हुए, पासवान ने घोषणा की कि उनकी पार्टी एनडीए की जीत सुनिश्चित करने के लिए सभी 243 विधानसभा सीटों पर उसका समर्थन करेगी।चिराग ने कहा, “जो लोग पूछते हैं कि मैं कहां से चुनाव लड़ूंगा, मैं उन्हें बता देना चाहता हूं कि मेरी पार्टी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) और मैं एनडीए उम्मीदवारों को जिताने और एनडीए गठबंधन को मजबूत करने के लिए 243 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। मेरा लक्ष्य है कि एनडीए जीत की ओर बढ़े।” जेडी(यू) के लिए पारंपरिक रूप से कमजोर क्षेत्र आरा में घोषणा करते हुए पासवान ने कहा कि वह “बिहार से नहीं बल्कि बिहार के लिए” चुनाव लड़ेंगे। उन्होंने कहा कि वह अपनी उम्मीदवारी और निर्वाचन क्षेत्र का फैसला लोगों पर छोड़ देंगे।
पासवान की हालिया घोषणा ने बिहार में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के भीतर सीट बंटवारे को लेकर बहस छेड़ दी है। पिछले लोकसभा चुनावों में अपनी पार्टी के 100 प्रतिशत स्ट्राइक रेट का हवाला देते हुए पासवान की 40 सीटों की मांग ने एनडीए के सहयोगियों के बीच चिंता पैदा कर दी है। एलजेपी 40 सीटों की मांग कर रही है, जबकि हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) और राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) जैसे अन्य सहयोगी भी कुछ सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि भाजपा और जेडी (यू) कथित तौर पर 100-100 सीटों पर नजर गड़ाए हुए हैं।
पासवान का यह आक्रामक रुख 2020 के चुनावों की पृष्ठभूमि में सामने आया है, जहां उनकी पार्टी ने लगभग 5.66 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किया। इससे जेडी(यू) की सीटों की संख्या 2015 के 71 से घटकर 43 हो गई, जिससे वह आरजेडी और बीजेपी के बाद तीसरे स्थान पर आ गई। बिहार में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है। हालांकि, चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा नहीं की है।